दोस्तों नमस्कार जय भीम मैं एक बार फिर से एक नये पोस्ट के साथ उपस्थित हूँ। जैसा की आप जानते हैं कि मैं वर्ग दशम् के लिए भौतिकी का नोट्स प्रोवाइड करा रहा हूँ । आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे पाठ :- 2 के प्रकाश का अपवर्तन का पहला भाग।
★प्रकाश का अपवर्तन(Refraction of light):-जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है, तो उसकी दिशा में परिवर्तन हो जाता है. इसी घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
★प्रकाश के अपवर्तन का नियम :- दो नियम है।
(¡) आपतित किरण,अभिलंब तथा अपवर्तित किरण तीनों एक ही तल में होते हैं।
(¡¡) आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होती हैं। अर्थात sin i/sin r इसे स्नेल का नियम भी कहा जाता हैं।
★प्रकाश के अपवर्तन के कारण घटने वाली घटनाएँँ:-
●द्रव में अशंतः डुबी हूई सीधी छड़ टेढ़ी दिखाई देती हैं।
● तारे टिमटिमाते हुए दिखाई पड़ते हैं।
●पानी से भरे हुए कुआँ की गहराई कम मालूम पड़ता हैं।
●जल के अंदर पड़ी हुई मछली वास्तविक गहराई से कुछ ऊपर उठी हुई दिखाई पड़ती है।
●सूर्योदय के पहले एवं सूर्यास्त के बाद भी सूर्य दिखाई देता हैं।
■ नोट :-
* प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाने पर अभिलंब की ओर मुड़ जाती हैं।
* प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर अभिलंब से दूर हट जाती हैं।
* जब प्रकाश की किरण दो माध्यमों को अलग करनेवाली सतह पर लंबवत पड़ती हो ,तो वह बिना मुड़े सीधी निकाल जाती है।
★ प्रकाश का अपवर्तनांक :- शून्य में प्रकाश की चाल(c) और किसी माध्यम में प्रकाश की चाल(cm) के अनुपात को अपवर्तनांक कहते हैं।
अर्थात किसी माध्यम का अपवर्तनांक (n) = C/Cm
*विभिन्न पदार्थों का अपवर्तनांक भिन्न-भिन्न होता हैं।
जैसे:-वायु 1.0003 ,पानी 1.33 ,किरोसिन 1.44 ,बर्फ 1.31 ,हीरा 2.42 ,ऐल्कोहल 1.36,कार्बन डाइऑक्साइड 1.63 ,क्रउन काँच 1.48-1.61
★ क्रांंतिक कोण (Critical angle):-आपतन कोण का मान जिसके लिए अपवर्तन कोण 90° होता है,क्रांंतिक कोण कहलाता है।
★प्रकाश का पूर्ण परिवर्तन:-जब आपतन कोण का मान क्रांंतिक कोण से बड़ा होता है, तो संपूर्ण प्रकाश का परावर्तन हो जाता है, इस घटना को प्रकाश का पूर्ण परिवर्तन कहते हैं।
*उदाहरण:-
◆ जल में पड़ी हुई परखनली का चमकीली दिखाई देना.
◆ कालिख से पुता हुआ गोला जल में चमकता है।
◆हीरे का चमकना
◆रेगिस्तान में मरीचिका बनना।
लेंस(Lens):- दो गोलीय पृष्ठों से घिरे हुए किसी अपवर्तक माध्यम को लेंस कहा जाता है, लेंस दो प्रकार के होते हैं।
आज के इस पोस्ट में बस इतना ही ,मुझे आशा है कि आप को यह पोस्ट भी पसंद आया होगा ।यदि किसी प्रकार के कमियाँ हो या कुछ सुक्षाव देना चहते हो तो कंमेंट बौक्स में आवश्य लिखे।
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★ क्रांंतिक कोण (Critical angle):-आपतन कोण का मान जिसके लिए अपवर्तन कोण 90° होता है,क्रांंतिक कोण कहलाता है।
★प्रकाश का पूर्ण परिवर्तन:-जब आपतन कोण का मान क्रांंतिक कोण से बड़ा होता है, तो संपूर्ण प्रकाश का परावर्तन हो जाता है, इस घटना को प्रकाश का पूर्ण परिवर्तन कहते हैं।
*उदाहरण:-
◆ जल में पड़ी हुई परखनली का चमकीली दिखाई देना.
◆ कालिख से पुता हुआ गोला जल में चमकता है।
◆हीरे का चमकना
◆रेगिस्तान में मरीचिका बनना।
लेंस(Lens):- दो गोलीय पृष्ठों से घिरे हुए किसी अपवर्तक माध्यम को लेंस कहा जाता है, लेंस दो प्रकार के होते हैं।
1. उत्तल लेंस(Convex Lens):-वैसा लेंस जिसमें किनारे की अपेक्षा बीच का भाग अधिक मोटा होता है,उसे उत्तल लेंस कहते हैं।
2.अवतल लेंस (Concave Lens):- वैसा लेंस जिसमें बीच के अपेक्षा किनारे का भाग मोटा होता है, उसे अवतल लेंस कहते हैं।
■नोट:- उतल लेंस प्रकाश किरणपुंज को अभिसरित करता है इस लिए अभिसारी लेंस कहलाता है।तथा अवतल लेंस किरणपुंज को अपसारित करता है, इस लिए अपसारी लेंस कहलाता है।
■जब उतल लेंस से प्रकाश के किरणों को कगज के एक बिन्दु पर फोकसित किया जाता है तो वह जलने लगता हैं।
■किसी उतल लेंस को आँखों के सामने रख कर सूर्य को नहीं देखना चाहिए क्योंकि कि आँख खराब हो सकता हैं।
★ उत्तल लेंस से बने प्रतिबिंब :-
(1) जब वस्तु लेंस तथा फोकस के बीच स्थित हो, तो उसका प्रतिबिंब वस्तु की ओर आभासी, सीधा और बड़ा बनता हैं।
(2) जब वस्तु फोकस पर हो,तो प्रतिबिंब अनंत पर वास्तविक, उलटा और बड़ा बनता हैं।
(3) जब वस्तु f तथा 2f के बीच स्थित हो, तो प्रतिबिंब 2f' और अनंत के बीच वास्तविक ,उलटा और बड़ा बनता हैं।
(4) जब वस्तु 2f पर स्थित हो,तो प्रतिबिंब 2f' पर वास्तविक, उलटा और वस्तु के बराबर बनता हैं।
(5) जब वस्तु 2f तथा अनंत के बीच स्थित हो,तो प्रतिबिंब f' तथा 2f' के बीच वास्तविक, उलटा और वस्तु से छोटा बनता हैं।
(6) जब वस्तु अनंत पर हो,तो प्रतिबिंब f' पर वास्तविक ,उलटा और वस्तु से बहुत छोटा बनता हैं।
★ अवतल लेंस में प्रतिबिंब हमेशा वस्तु की ओर ही लेंस एवं फोकस के बीच आभासी, सीधा और छोटा बनता हैं।
■ यदि लेंस की फोकस f वस्तु की दूरी u तथा प्रतिबिंब की दूरी v हो तो, लेंस सूत्र 1/f=1/v - 1/u होता हैं।
■ संयुक्त लेंस की फोकस दूरी सूत्र :- 1/f= 1/f1+ 1/f2
■ लेंस की क्षमता (Power of lens) :- किसी लेंस के फोकस दूरी के व्याससको लेंस की क्षमता कहते हैं।इसे p द्वारा सचचित किया जाता हैं। अर्थात p=1/f
* नोट:- उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती हैं।
■उतल लेंस, अवतल लेंस एवं एक वृताकार प्लेट की पहचान करनी हो तो बारी-बारी से उन्हें किसी पुस्तक के एक पृष्ठ के पास लाते हैं और छपे अक्षरों को ध्यान से देखते हैं। यदि अक्षर बड़ा दिखाई पड़े तो उत्तल लेंस, बराबर तो वृताकार प्लेट, छोटे तो अवतल लेंस होगा।
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