हलो दोस्तों नमस्कार जय भीम मैं अजीत कुमार आज के इस पोस्ट में लेकर आया हूँ वर्ग दशम् के भौतिकी के पाठ एक प्रकाश का परावर्तन का पुरी नोट्स वो भी हिंदी माध्यम में । जिसमें मैं आपको बताउंगा प्रकाश के गुण एवं उससें संबंधित नियमों,घटना आदि ।
प्रकाश एवं इसके गुण
★प्रकाश (Light):- प्रकाश एक प्रकार के उर्जा स्रोत है, जिसके सहायता से हम किसी वस्तुओं को देखते हैं।
●प्रकाश हमेशा एक सीध रेखा मे गमन करती हैं।
● यह विद्युत चुंबकीय तरंग के रूप मेंं संचरित होता हैं।
● प्रकाश तरंग अनुप्रस्थ होती है. जिसका तरंगदैर्घ्य 3900A° -7800A° के बीच होता हैं।
● वायु या निर्वात में प्रकाश की चाल सबसे अधिक 3×10 के पावर 8मीटर प्रति सेकण्ड होती हैं।
● यह विद्युत चुंबकीय तरंग के रूप मेंं संचरित होता हैं।
● प्रकाश तरंग अनुप्रस्थ होती है. जिसका तरंगदैर्घ्य 3900A° -7800A° के बीच होता हैं।
● वायु या निर्वात में प्रकाश की चाल सबसे अधिक 3×10 के पावर 8मीटर प्रति सेकण्ड होती हैं।
★ 1. प्रकाश का परावर्तन ★
★प्रकाश(Light): -प्रकाश उर्जा का एक रूप होता हैंं ।जिसके सहायता से हम किसी बस्तुओं को देख पाते हैं।
★ प्रकाश -स्रोत (Light source):- जिस वस्तु से प्रकाश निकलता है, उसे प्रकाश स्रोत कहते हैं।जैसे सूर्य तारे बिजली का जलता बल्ब लैंप आदि।
प्रकाश स्रोत दो प्रकार के होते है।
(i)प्राकृतिक स्रोत (Natural source):- वैसा प्रकाश स्रोत जो प्राकृतिक प्रदत है ।जैसे सूर्य तारे इनमें सूर्य प्रकाश का सबसे बडा स्रोत हैं।
(ii) मानव निर्मित (Man-made):- वैसा प्रकाश स्रोत जो मनव द्वारा बनाया गया है उसे मानव निर्मित प्रकाश स्रोत कहते हैं। जैसे बिजली का बल्ब, लालटेन, लैंप,मोमबत्ती, दिया आदि।
★ प्रकाश के आधार पर वस्तुएं दो प्रकार के होते हैंं ।
(¡) प्रदीप्त (Luminous) वस्तुएं :- जिन वस्तुओं से प्रकाश निकलती है ,उसे प्रदीप्त या दीप्तिमान वस्तु कहते हैं।जैसे सूर्य ,तारे, जलती हुई मोमबत्ती, आदि।
(¡¡) अप्रदीप्त (nonluminous) वस्तुएं :- जिन वस्तुओं से प्रकाश नहीं निकलता है, उसे अप्रदीप् वस्तुएं कहते हैं। जैस टेबुल कुर्सी पुस्तकें आदी।
★ प्रकाश की किरणों (Light Ray):- जब किसी प्रदीप्त पदार्थ से प्रकाश निकल कर सरल रेखा में गमन करती है तो उसे प्रकाश की किरणें कहते हैं। और प्रकाश किरणों के समुह को प्रकाश का किरणपुंज (Beam)कहते हैं।
★ प्रकाश का किरणपुंज निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं।
(¡)अपसारी किरणपुंज (Diverging beam):-जब प्रकाश किरणें एक बिन्दु-स्रोत से निकलकर फैलती चली जाती हैं।उसे अपसारी किरणपुंज कहते हैं।जैसे टाँर्च से निकलने वाली प्रकाश।
(¡¡) समांतर किरणपुंज (Parallel beam):- जब प्रकाश किरणें एक -दूसरे को किसी बिंदु पर न काटे अर्थात समांतर हो तो उसे समांतर किरणपुंज कहतेहैं। जैसे सूर्य से आती हुई किरणें।
(¡¡¡) अभिसारी किरणपुंज (Converging beam):- जब प्रकाश किरणें एक बिंदुपर आकर मिलती है तो उसे अभिसारी किरणपुंज कहतेहैं। ★ प्रकाश के आधार पर पदार्थ तीन प्रकारके होते हैं।
(¡) परदर्शी (Transparent):-वे वस्तुएँँ जिनसे होकर प्रकाश की सभी किरणों निकल जाती हैं। जैसे कांच , जल आदि।
(¡¡) पारभासी (Translucent) :- वे वस्तुएँँ जिनसे होकर प्रकाश की कुछ ही किरणों निकल पाती हैं।जैसे तेल लगा हुआ कागज, घिसा हुआ कांच,रक्त, दूध आदि।
(¡¡¡) अपारदर्शी (Opaque) :- वे वस्तुएँँ जिनसे होकर प्रकाश की किरणों बाहर नहीं निकाल पाती हैं। जैसे धातु, लकडी, आदि।
★प्रकाश(Light): -प्रकाश उर्जा का एक रूप होता हैंं ।जिसके सहायता से हम किसी बस्तुओं को देख पाते हैं।
★ प्रकाश -स्रोत (Light source):- जिस वस्तु से प्रकाश निकलता है, उसे प्रकाश स्रोत कहते हैं।जैसे सूर्य तारे बिजली का जलता बल्ब लैंप आदि।
प्रकाश स्रोत दो प्रकार के होते है।
(i)प्राकृतिक स्रोत (Natural source):- वैसा प्रकाश स्रोत जो प्राकृतिक प्रदत है ।जैसे सूर्य तारे इनमें सूर्य प्रकाश का सबसे बडा स्रोत हैं।
(ii) मानव निर्मित (Man-made):- वैसा प्रकाश स्रोत जो मनव द्वारा बनाया गया है उसे मानव निर्मित प्रकाश स्रोत कहते हैं। जैसे बिजली का बल्ब, लालटेन, लैंप,मोमबत्ती, दिया आदि।
★ प्रकाश के आधार पर वस्तुएं दो प्रकार के होते हैंं ।
(¡) प्रदीप्त (Luminous) वस्तुएं :- जिन वस्तुओं से प्रकाश निकलती है ,उसे प्रदीप्त या दीप्तिमान वस्तु कहते हैं।जैसे सूर्य ,तारे, जलती हुई मोमबत्ती, आदि।
(¡¡) अप्रदीप्त (nonluminous) वस्तुएं :- जिन वस्तुओं से प्रकाश नहीं निकलता है, उसे अप्रदीप् वस्तुएं कहते हैं। जैस टेबुल कुर्सी पुस्तकें आदी।
★ प्रकाश की किरणों (Light Ray):- जब किसी प्रदीप्त पदार्थ से प्रकाश निकल कर सरल रेखा में गमन करती है तो उसे प्रकाश की किरणें कहते हैं। और प्रकाश किरणों के समुह को प्रकाश का किरणपुंज (Beam)कहते हैं।
★ प्रकाश का किरणपुंज निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं।
(¡)अपसारी किरणपुंज (Diverging beam):-जब प्रकाश किरणें एक बिन्दु-स्रोत से निकलकर फैलती चली जाती हैं।उसे अपसारी किरणपुंज कहते हैं।जैसे टाँर्च से निकलने वाली प्रकाश।
(¡¡) समांतर किरणपुंज (Parallel beam):- जब प्रकाश किरणें एक -दूसरे को किसी बिंदु पर न काटे अर्थात समांतर हो तो उसे समांतर किरणपुंज कहतेहैं। जैसे सूर्य से आती हुई किरणें।
(¡¡¡) अभिसारी किरणपुंज (Converging beam):- जब प्रकाश किरणें एक बिंदुपर आकर मिलती है तो उसे अभिसारी किरणपुंज कहतेहैं। ★ प्रकाश के आधार पर पदार्थ तीन प्रकारके होते हैं।
(¡) परदर्शी (Transparent):-वे वस्तुएँँ जिनसे होकर प्रकाश की सभी किरणों निकल जाती हैं। जैसे कांच , जल आदि।
(¡¡) पारभासी (Translucent) :- वे वस्तुएँँ जिनसे होकर प्रकाश की कुछ ही किरणों निकल पाती हैं।जैसे तेल लगा हुआ कागज, घिसा हुआ कांच,रक्त, दूध आदि।
(¡¡¡) अपारदर्शी (Opaque) :- वे वस्तुएँँ जिनसे होकर प्रकाश की किरणों बाहर नहीं निकाल पाती हैं। जैसे धातु, लकडी, आदि।
★प्रकाश का परावर्तन (Reflection of light) :- प्रकाश को किसी अपारदर्शक सतह से टकराकर लौटने की घटना को प्रकाश का परावर्तन कहा जाता हैं।
प्रकाश परावर्तन के दो नियम हैंं-
(¡) आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन बिंदु पर डाला गया अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं।
(¡¡) आपतन कोण परिवर्तन कोण के बराबर होता है।अर्थात<i=<r
★दर्पण (Mirrors):- वैसा चमकीले सतह जिससे प्रकाश परावर्तन होता है तथा जिसके एक भाग रंजीत किया गया हो उसे दर्पण कहते हैं। दर्पण दो प्रकार के होते हैं।
प्रकाश परावर्तन के दो नियम हैंं-
(¡) आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन बिंदु पर डाला गया अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं।
(¡¡) आपतन कोण परिवर्तन कोण के बराबर होता है।अर्थात<i=<r
★दर्पण (Mirrors):- वैसा चमकीले सतह जिससे प्रकाश परावर्तन होता है तथा जिसके एक भाग रंजीत किया गया हो उसे दर्पण कहते हैं। दर्पण दो प्रकार के होते हैं।
1. समतल दर्पण (Plane mirror) :- जिस दर्पण का परावर्तक सतह समतल हो उसे समतल दर्पण कहते हैं।
★ समतल दर्पण के बिशेषताऐं :-
● किसी वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर आभासी एवं समान बनती है जितनी दूरी पर वस्तु होती हैं।
● दो समतल दर्पण के बीच अनंत प्रतिबिंब बनती हैं।
● यदि समतल दर्पण में किसी वस्तु का पूरा प्रतिबिंब देखना हो तो दर्पण की ऊँचाई वस्तु के ऊँचाई से आधी होनी चाहिए।
● यदि कोई व्यक्ति दर्पण की ओर V चाल से चलता होत तो प्रतिबिंब 2V चाल से दर्पणकी ओर आती हुई प्रतीत होती हैं।
★समतल दर्पण के उपयोग:-
● चेहरा देखने में।
● सोलर कूकर में प्रकाश के परावर्तन के लिए।
● बहुरूपदर्शी एवं परिदर्शी में ।
2. गोलीय दर्पण (Spherical mirror):- वैसा दर्पण जिसका परावर्तक सतह किसी खोखले गोले का एक भाग होता है,उसे गोलीय दर्पण कहते हैं। जिसे काँच के एक टुकडे को रंजतित कर बनाया जाता है ,जो एक खोखले गोले का भाग होता हैं।
● गोलीय दर्पण की फोकस दूरी वक्रता त्रिज्या की आधी होती हैं।यदि फोकस दूरी f हो तो वक्रता त्रिज्या r =2f या फोकस दूरी f=r/2
● यदि गोलीय दर्पण के सामने रखे वस्तु की दूरी u,प्रतिबिंब की दूरी v,तथा फोकस दूरी f,हो तो दर्पण सूत्र 1/f=1/u+1/v होता हैं।
★ आवर्धन (Magnification) :- किसी गोलीय दर्पण में प्रतिबिंब की ऊँचाई और वस्तु के ऊँचाई के अनुपात को उस दर्पण का आवर्धन कहते हैं।यदि वस्तु की लम्बाई h,एवं दर्पण की u,तथा प्रतिबिंब की लम्बाई h' , एवं दूरी v,और फोकस दूरी f,हो तो आवर्धन m=h'/h=-v/u=1-v/f. होता हैं।इसका कोई मात्रक नही होता हैं।
★गोलीय दर्पण निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं।
(¡) अवतल दर्पण (Concave mirror) :- जिस दर्पण के बाहरी सतह रंजतित किया रहता है अर्थात परावर्तक सतह धसा होता है ,उसे अवतल दर्पण कहते हैं।
★ अवतल दर्पण के सामने विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तु के प्रतिबिंब :-
1. जब वस्तु फोकस और ध्रुव के बीच स्थित हो तो प्रतिबिंब दर्पण के पीछे काल्पनिक, सीधा और बडा बनता हैं।
2.जब वस्तु फोकस पर हो तो प्रतिबिंब अनंत पर वास्तविक, उलटा और बहुत बडा बनता हैं।
3.जब वस्तु वक्रता -केन्द्र और फोकस के बीच स्थित हो तो प्रतिबिंब वक्रता-केन्द्र और अनंत के बीच वास्तविक, उलटा और बडा बनता हैं।
4. जब वस्तु वक्रता -केन्द्र पर स्थित हो तो प्रतिबिंब वक्रता-केन्द्र पर ही वास्तविक, उलटा और वस्तु के बराबर बनता हैं।
5.जब वस्तु अनंत और वक्रता-केन्द्र के बीच स्थित हो तो प्रतिबिंब वक्रता-केन्द्र और फोकस के बीच वास्तविक, उलटा और वस्तु से छोटा बनता हैं।
6. जब वस्तु अनंत पर स्थित हो तो प्रतिबिंब फोकस पर वास्तविक, उलटा और वस्तु से बहुत छोटा बनता हैं।
★ अवतल दर्पण का उपयोग:-
1.हजमती दर्पण में।
2.टाँर्च, वाहनों के हेडलाइटों तथा सर्चलाइटों में ।
3.रोगियों के नाक,कान,गले, दाँत आदि की जाँच करने में।
4.सौर भठ्ठियों में।
(¡¡) उतल दर्पण (Convex mirror):- जिस दर्पण के भीतरी सतह को रंजतिय किया जाता है अर्थात जिसका परावर्तक सतह उठा होता हैं।उसे उतल दर्पण कहते हैं।
● उतल दर्पण में बने प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति और उनके आकार :-
1.जब वस्तु ध्रुव पर स्थित हो तो प्रतिबिंब ध्रुव पर ही आभासी सीधा और वस्तु के बराबर बनता हैं।
2. जब वस्तु ध्रुव और अनंत के बीच स्थित हो तो प्रतिबिंब आभासी, सीधा और छोटा बनता हैं।
3.जब वस्तु अनंत पर स्थित हो तो प्रतिबिंब आभासी ,सीधा और वस्तु से बहुत छोटा बनता हैं।
● उतल दर्पण का उपयोग गाडिय़ों के साइड मिरर के रूप में किया जाता है
बस आज के पोस्ट मे इतना ही आगे की जानकारी हम अगले पोस्ट मे जानेगे।मैं आशा करता हूँ कि आज का यह पोस्ट आप सबको अच्छा लगा होगा।आगे भी हमेशा इसतरह के जानकारी देते रहेंगे बस आप जुड़े रहे हमारे साथ और हमारे पोस्ट को पसंद एवं सेयर करते रहे।Donlod pdf Donlod to pdf

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