Hii आज मैं लेकर आया हूँ वर्ग दशम् के जीव विज्ञान के महत्वपूर्ण पाठ उत्सर्जन का नोट्स जिसमें बहुत ही आसान तरह से समझाया गया है ।उत्सर्जन के बारे में जो सभी परीक्षा के दृष्टिकोण से अतिआवश्यक हैं।मैं ये बादा करता हूँ कि आपको इससे अच्छा नोट्स कहीं भी नहीं मिलेगा।
उत्सर्जन (Excretory)
★उत्सर्जन (Excretory) :- उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन, उत्सर्जन कहलाता है।
★ उत्सर्जी पदार्थ :- उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप कुछ ऐसे पदार्थों का निर्माण होता है जो शरीर के लिए अनावश्यक एवं विषाक्त होते हैं। ऐसे पदार्थोंं को उत्सर्जी पदार्थ कहते हैं।
● कार्बनिक अणुओं के विखंडन से उत्पन्न एक प्रमुख उत्सर्जी पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड है।
●प्रोटीन तथा एमीनो अम्लों के विखंडन के फलस्वरूप नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ अमोनिया, यूरिया तथा यूरिक अम्ल बनते हैं।
● यूरिया अमोनिया की अपेक्षा ज्यादा जटिल, परंतु कम विषैला यौगिक है।
◆ निम्न श्रेणी के जंतुओं जैसे प्रोटोजोआ ,अमीबा उत्सर्जी पदार्थों को शरीर की सतह से विसरण द्वारा बाहर निकालते है।
★ उत्सर्जन अंग (Excretory Organ) :- उच्च श्रेणी के जंतुओं में अंंगों का वैसा समूह ,जो उत्सर्जन की क्रिया में भाग लेता है, उत्सर्जन अंग कहलाता है।
★ वृक्क (Kidney):- यह शरीर से नाइट्रोजनी पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है।जैसे यूूरिया ,अमोनिया, यूरिक अम्ल
★ त्वचा (Skin):- इससे लवण एवं यूरिया निष्कासित होतेे है।
★ यकृत (Liver):- यह नाइट्रोजनी पदार्थों को शरीर से बाहर निकलने मेें सहायक होता है।
★ फेफड़ा (Lung):- यह कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकलता है।
★ आंत (Intestine):- कुुुछ लवण मल के साथ शरीर से बाहर निकलते है।
◆ मनुष्य एवं समस्त वर्टिब्रेटा उपसंघ में उत्सर्जन का सबसे प्रमुख अंग एक जोड़ा वृक्क है।
● मनुष्य में वृक्क उदर गुहा में कशेरुक दंड के दोनों ओर स्थित होते है।
● प्रत्येक वृक्क ठोस, गहरे भूरे-लाल रंग का होता है।
● वृक्क सेम के बीज के आकर का होता है, इसकी लम्बाई 10cm ,चौड़ाई 5-6 cm ,मोटाई 2.5-4 cm तथा वजन 140gm होता हैं।
● वृक्क से संबद्ध अन्य रचनाएँ जो उत्सर्जन में भाग लेती हैं, वे मुत्रवाहिनी(Ureter) ,मूत्राशय(Primary Bladder) तथा मूत्रमार्ग (Urethra) कहते हैं।
● वृक्क के रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को वृक्क-नलिका या नेफ्रॉन (Nephron) कहते है।
● मनुष्य के प्रत्येक वृक्क में करीब 10,00,000 नेफ्रॉन होते हैं।
● वृक्क के द्वारा उत्सर्जन तीन चरणों - (i) ग्लोमेरूलर फिल्टेशन (ii) टयूबुलर पुनरवशोषण (iii) टयूबुलर स्रवण में पूर्ण होता है।
★ मूत्र (Urine ):- मूत्र नलिका में रक्त सेे छनकर आयेे जल एवं शेष उत्सर्जी पदार्थ के मिश्रण को मूूत्र कहते हैं।
● सामान्य मूत्र में 95% जल, 2% यूरिया तथा शेष में लवण, अमीनो अम्ल, क्रिएटिन आदि मौजूद होते हैं।
● मूत्र का पीला रंग इसमें स्थित वर्णक यूरोक्रोम के कारण होता है।
● मूत्र का PH 4.8-8.4 तक होता है।
★ वृक्क के कार्य :-
(i) वृक्क मुख्य उत्सर्जी अंग है, जो उपापचय के फलस्वरूप शरीर में बने दूषित पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकालता है।(ii) यह रक्त PH को नियंत्रित करता है, तथा RBC का निर्माण स्थान भी है
(iii) यह रक्त परासरणी दाब को नियंत्रित करता है।
(iv) शरीर के परासरण नियंत्रण द्वारा वृक्क जल की निश्चित मात्रा को बनाए रखता है।
(v) यह बाहरी पदार्थों, जैसे - दवाइयाँ, विष आदि, जिनका शरीर में उपयोग नहीं है, निष्कासन करता है।
◆ पौधे गैसीय उत्सर्जी पदार्थों को रंध्रों एवं वातरंध्रों द्वारा निष्कासित करते है।
◆ पौधे ठोस उत्सर्जी पदार्थों को पतियों या छाल में संचित करते हैं।तथा कुछ का संचयन कोशिकीय रिक्तिकाओं में होता है।
◆पौधों में पाए जानेवाले मुख्य उत्सर्जी पदार्थों में टैनिन, रेजिन एवं गोंद हैं।
◆पौधों में उत्सर्जी पदार्थों का निष्कासन पतियों के गिरने, छाल के विलगाव, जल एवं मृदा में होता हैं।
इस प्रकार यह नोट्स पूरा हुआ । मैं आशा करता हूँ कि आप को उत्सर्जन से संबंधित पूरी जानकारी प्राप्त हुआ होगा।
यदि कुछ कमी हो तो कोमेंट बोक्स में अवश्य लिखे।clik to downld pdf
■■■■■◆◆◆◆◆◆●●●धन्यवाद●●◆◆◆◆◆■■■■■■
उत्सर्जन (Excretory)
★उत्सर्जन (Excretory) :- उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन, उत्सर्जन कहलाता है।
★ उत्सर्जी पदार्थ :- उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप कुछ ऐसे पदार्थों का निर्माण होता है जो शरीर के लिए अनावश्यक एवं विषाक्त होते हैं। ऐसे पदार्थोंं को उत्सर्जी पदार्थ कहते हैं।
● कार्बनिक अणुओं के विखंडन से उत्पन्न एक प्रमुख उत्सर्जी पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड है।
●प्रोटीन तथा एमीनो अम्लों के विखंडन के फलस्वरूप नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ अमोनिया, यूरिया तथा यूरिक अम्ल बनते हैं।
● यूरिया अमोनिया की अपेक्षा ज्यादा जटिल, परंतु कम विषैला यौगिक है।
◆ निम्न श्रेणी के जंतुओं जैसे प्रोटोजोआ ,अमीबा उत्सर्जी पदार्थों को शरीर की सतह से विसरण द्वारा बाहर निकालते है।
★ उत्सर्जन अंग (Excretory Organ) :- उच्च श्रेणी के जंतुओं में अंंगों का वैसा समूह ,जो उत्सर्जन की क्रिया में भाग लेता है, उत्सर्जन अंग कहलाता है।
★ वृक्क (Kidney):- यह शरीर से नाइट्रोजनी पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है।जैसे यूूरिया ,अमोनिया, यूरिक अम्ल
★ त्वचा (Skin):- इससे लवण एवं यूरिया निष्कासित होतेे है।
★ यकृत (Liver):- यह नाइट्रोजनी पदार्थों को शरीर से बाहर निकलने मेें सहायक होता है।
★ फेफड़ा (Lung):- यह कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकलता है।
★ आंत (Intestine):- कुुुछ लवण मल के साथ शरीर से बाहर निकलते है।
◆ मनुष्य एवं समस्त वर्टिब्रेटा उपसंघ में उत्सर्जन का सबसे प्रमुख अंग एक जोड़ा वृक्क है।
● मनुष्य में वृक्क उदर गुहा में कशेरुक दंड के दोनों ओर स्थित होते है।
● प्रत्येक वृक्क ठोस, गहरे भूरे-लाल रंग का होता है।
● वृक्क सेम के बीज के आकर का होता है, इसकी लम्बाई 10cm ,चौड़ाई 5-6 cm ,मोटाई 2.5-4 cm तथा वजन 140gm होता हैं।
● वृक्क से संबद्ध अन्य रचनाएँ जो उत्सर्जन में भाग लेती हैं, वे मुत्रवाहिनी(Ureter) ,मूत्राशय(Primary Bladder) तथा मूत्रमार्ग (Urethra) कहते हैं।
● वृक्क के रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को वृक्क-नलिका या नेफ्रॉन (Nephron) कहते है।
● मनुष्य के प्रत्येक वृक्क में करीब 10,00,000 नेफ्रॉन होते हैं।
● वृक्क के द्वारा उत्सर्जन तीन चरणों - (i) ग्लोमेरूलर फिल्टेशन (ii) टयूबुलर पुनरवशोषण (iii) टयूबुलर स्रवण में पूर्ण होता है।
★ मूत्र (Urine ):- मूत्र नलिका में रक्त सेे छनकर आयेे जल एवं शेष उत्सर्जी पदार्थ के मिश्रण को मूूत्र कहते हैं।
● सामान्य मूत्र में 95% जल, 2% यूरिया तथा शेष में लवण, अमीनो अम्ल, क्रिएटिन आदि मौजूद होते हैं।
● मूत्र का पीला रंग इसमें स्थित वर्णक यूरोक्रोम के कारण होता है।
● मूत्र का PH 4.8-8.4 तक होता है।
★ वृक्क के कार्य :-
(i) वृक्क मुख्य उत्सर्जी अंग है, जो उपापचय के फलस्वरूप शरीर में बने दूषित पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकालता है।(ii) यह रक्त PH को नियंत्रित करता है, तथा RBC का निर्माण स्थान भी है
(iii) यह रक्त परासरणी दाब को नियंत्रित करता है।
(iv) शरीर के परासरण नियंत्रण द्वारा वृक्क जल की निश्चित मात्रा को बनाए रखता है।
(v) यह बाहरी पदार्थों, जैसे - दवाइयाँ, विष आदि, जिनका शरीर में उपयोग नहीं है, निष्कासन करता है।
◆ पौधे गैसीय उत्सर्जी पदार्थों को रंध्रों एवं वातरंध्रों द्वारा निष्कासित करते है।
◆ पौधे ठोस उत्सर्जी पदार्थों को पतियों या छाल में संचित करते हैं।तथा कुछ का संचयन कोशिकीय रिक्तिकाओं में होता है।
◆पौधों में पाए जानेवाले मुख्य उत्सर्जी पदार्थों में टैनिन, रेजिन एवं गोंद हैं।
◆पौधों में उत्सर्जी पदार्थों का निष्कासन पतियों के गिरने, छाल के विलगाव, जल एवं मृदा में होता हैं।
इस प्रकार यह नोट्स पूरा हुआ । मैं आशा करता हूँ कि आप को उत्सर्जन से संबंधित पूरी जानकारी प्राप्त हुआ होगा।
यदि कुछ कमी हो तो कोमेंट बोक्स में अवश्य लिखे।clik to downld pdf
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