वर्ग:- दशम् विषय:- इतिहास
■◆◆◆● अध्याय -1 यूरोप में राष्ट्रवाद ◆◆●◆
★परिभाषा :- राष्ट्रवाद आधुनिक राजनैतिक चेतना का परिणाम है जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं समाजिक परिवेश में विकसित होती है। यूरोप में राष्ट्रवादी चेतना की शुरुआत फ्रांस से होती है।
★राष्ट्रवाद के विकास में सहायक तत्व :-
1. पुनर्जागरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न परिस्थितियाँ :- राष्ट्रवाद की भावना का बीजारोपण यूरोप में पुनर्जागरण के काल से ही हो चुका था।
2. फ्रांसीसी क्रांति के आदर्श :- राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789में फ्रांसीसी राज्य क्रांति से हुई।
3. नेपोलियन का सैन्य अभियान एवं प्रशासनिक व्यवस्था :- नेपोलियन ने राष्ट्रवाद के सहारे शक्ति अर्जित की और समग्र यूरोप में विजय-पताका फहराई।
4. मध्यम वर्ग का उदय एवं उदारवादी सोच :- यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
5.तत्कालीन समाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश :- यूरोप सामान्य सीमा, भाषा, अतीत और सांस्कृतिक मूल्य ने भी राष्ट्रवाद उदय के कारण बना।
6. मेटरनिख के प्रतिक्रियावादी नीति :- सन 1815-1848 तक का काल मेटरनिख युग कहा जाता है। जिसका शासक मेटरनिख घोर प्रतिक्रियावादी था।उसका मानना था कि यूरोप को स्वतंत्रता नहीं शांति चाहिए।जिसके कारण राष्ट्रवाद की भावनाएं उत्पन्न हुआ।
★ राष्ट्रवादी चेतना का परिणाम
1. 1830 की जुलाई क्रांति :- फ्रांस में क्रिया-प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप 1830में फ्रांस में जुलाई क्रांति हुई।
★ 1830 जुलाई क्रांति के कारण :- (i) मेटरनिख की प्रतिक्रियावादी नीति (ii) चार्ल्स दशम् एवं पोलिग्नेक का निरंकुश शासन।(iii) उदारवादियों द्वारा अभिजात्वर्गीय व्यवस्था का विरोध।
★ 1830जुलाई क्रांति के परिणाम :- (i )लुई फिलिप शासक बना और चार्ल्स दशम् इंग्लैंड पलायन किया। (ii)उदारवादी एवं संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना। (iii) मेटरनिख व्यवस्था को चुनौती । (iv) राजशाही एवं चर्च के प्रभाव को चुनौती।
2 . 1848 की क्रांति :- 1848 में पहले-पहल क्रांति का विस्फोट फ्रांस में ही हुआ। बाद में जर्मनी, आँस्ट्रिया,इटली आदि में भी क्रांतियाँ हुई।
★ 1848 की क्रांति के कारण :- (i)लूई फिलिप की कमजोर एवं उदारवादी नीति (ii) असफल वैदेशिक नीति (¡¡¡)भुखमरी एवं बेरोजगारी
★ 1848 क्रांति के परिणाम :- (¡) पुरातन व्यवस्था का अंत एवं द्वितीय गणराज्य की स्थापना। (ii) नेपोलियन तृतीया फ्रांस का सम्राट बना (iii) इटली एवं जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया का प्रारंभ।
■■■ इटली का एकीकरण ■■■
★ इटली का एकीकरण के बाधाएँ :-
(i) विषम भौगोलिक परिस्थितियों :- इटली 19 वीं शताब्दी के आरम्भ में मात्र एक भौगोलिक अभिव्यक्ति था, जहाँ कई स्वतंत्र राज्य होने के कारण अलगाव की भावना थी ।
(ii) पड़ोसी देशों का हस्तक्षेप :- इटली में आँस्ट्रिया और फ्रांस जैसे विदेशी राष्ट्रों का हस्तक्षेप कारण एकीकरण संभव नहीं था।
(iii) पोप का प्रभाव :- इटली की राजधानी रोम पोप के प्रभाव में थी ।पोप की इच्छा थी कि इटली का एकीकरण स्वयं उसके नेतृत्व में धार्मिक दृष्टिकोण से हो ना कि शासकों के नेतृत्व में।
◆ इटली एकीकरण में सहायक तत्व:- (i) राष्ट्रवादी विचार धारा का प्रभाव (ii) फ्रांस की घटनाओं का प्रभाव (iii) नेपोलियन का सैन्य अभियान (iv) मेटरनिख की प्रतिक्रियावादी सोच एवं नागरिक आंदोलन (v) मेजनी ,काउण्ट काबूर और गैरीबाल्डी का योगदान
◆ इटली एकीकरण की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण योगदान:-
1.मेजनी का योगदान:- मेजनी एक साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। लेकिन वह तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों की बेहतर समझ नहीं रखता था।अतः उसमें आदर्शवादी गुण अधिक और व्यावहारिक गुण थे। वह अपनी पराजय के बाद भी हार नहीं माना और एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
● यंग इटली की स्थापना :- सन् 1831ई०में इटली प्रायद्वीप से विदेशी हस्तक्षेप समाप्त करने तथा संयुक्त गणराज्य स्थापित करने के उद्देश्य से मेजनी ने यंग इटली नामक संस्था की स्थापना की जिसनें नवीन इटली के निर्माण में महत्वपूर्ण भाग लिया।
● यंग यूरोप की स्थपना :- सन् 1834 ई०में यंग यूरोप नामक संस्था का गठन कर मेजनी ने यूरोप के अन्य देशों में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रोत्साहित किया।
● 1848 की क्रांति के बाद पुनः वापसी कर जनवादी आंदोलन की शुरुआत किया।
● आँस्ट्रिया द्वारा सार्डीनिया पिडमौण्ड के शासक एलवर्ट की पराजय के बाद पुनः पलायन कर गया।
2.काउण्ट काबूर का योगदान :- यह विक्टर इमैनुएल का प्रधानमंत्री बना जो एक सफल कूटनीतिज्ञ एवं राष्ट्रवादी था। वह इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा आँस्ट्रिया को मानता था।इसलिए वह आँस्ट्रिया को पराजित करने के लिए फ्रांस के साथ दोस्ती का हाथ बढ़या।
● 1853-54 के क्रिमिया युद्ध में फ्रांस का कुटनीतिक रूप से सहयोग किया बिना किसी अनुरोध किए।
●नीस और सेवाय को नेपोलियन तृतीय को देने का वादा किया।
● 1859-60 में लोम्बार्ड़ी पर अधिकार लेकिन फ्रांस के विरोध के कारण वेनेसिया आँस्ट्रिया के ही कब्जे में रह गया।
● पुनः 1860-61 में रोम को छोड़कर उत्तर तथा मध्य इटली की सभी रियासत परमा,मोडेना,टस्कनी पर अधिकार कर लिया।
3. गैरीबाल्डी का योगदान :- यह पेशे से नाविक और मेजनी के विचारों का समर्थक था। जो आगे चलकर काबूर से प्रभावित होकर संवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया।
● गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सशस्त्र सेना बनाकर सिसली और नेपल्स पर अधिकार किया और विक्टर इमैनुएल द्वितीय का प्रतिनिधि शासक बना।
● 1862 में रोम पर आक्रमण की योजना बनाई लेकिन काबूर से मुलाकात के बाद योजना का परित्याग किया।
● इटली के दक्षिण क्षेत्र के शासक बनाने का प्रस्ताव खारिज किया एवं अपनी संपत्ति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान का जीवन व्यतीत किया।
◆ इटली एकीकरण का अंतिम चरण
● 1862 में काबूर की मृत्यु के बाद रोम और वेनिशिया पर विक्टर इमैनुएल ने स्वयं अधिकार किया।
● 1870-71 के फ्रांस और प्रशा के बीच युद्ध से उपजी अनुकूल परिस्थिति के कारण पोप बेटिकन सिटी के राजमहल में सिमट गया और संपूर्ण रोम पर इटली का अधिकार हो गया।
इस प्रकार इटली का एकीकरण पूरा हुआ।
■■■■■ जर्मनी का एकीकरण ■■■■■
★ जर्मनी के एकीकरण का प्रमुख बाधक तत्व :- (i) भौगोलिक रूप से लगभग 300ईकाइयों में विभाजित (ii) उत्तरी जर्मनी प्रोटेस्टेट जहाँ प्रशा का प्रभाव था एवं दक्षिण जर्मनी कैथोलिक बाहुल्य (iii) जर्मन राष्ट्रवाद के प्रारंभिक भावना का अभाव था।
★ जर्मनी एकीकरण में सहायक तत्व :-
जर्मन एकीकरण की पृष्ठभूमि निर्माण का श्रेय नेपोलियन बोनापार्ट को दिया जाता है क्योंकि उसने1806ई० में जर्मन प्रदेश को जीत कर राईन राज्य संघ का निर्माण किया था।
(i) नेपोलियन का सैन्य अभियान एवं राईन राज्य संघ की स्थापना (ii) बुद्धिजीवीयों यथा - हीगेल ,काण्ट ,हम्बोल्ट आदि की राष्ट्रवादी विचार धारा का प्रभाव (iii) शिक्षक-छात्र संगठन ब्रूशन शैफ्ट, मेटरनिख का दमनकारी कानून-कार्ल्सवाद एवं व्यापारीयों की संस्था जालवेरिन का योगदान। (iv) विलियम एवं बिस्मार्क का आविर्भाव
★ जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका :-
● बिस्मार्क जो जर्मन डायट में प्रशा का प्रतिनिधि हुआ करता था, हीगेल के विचारों से प्रभावित था एवं निरकुंश राजतंत्र का समर्थन करते हुए जर्मनी के एकीकरण के प्रयास में जुट गया था।
●सैन्य शक्ति के महत्व को समझते हुए लौह एवं रक्त की नीति को अपनाया।
● 1868 में आँस्ट्रिया के साथ मिलकर डेनमार्क को पराजित किया।
● श्लेशविग पर जर्मन अधिकार एवं जर्मन बाहुल्य होलस्टिन पर आँस्ट्रिया का प्रभुत्व माना।यह उसकी कूटनीतिक चाल रही।
● होलस्टीन की जर्मन आबादी को भड़का कर आँस्ट्रिया के विरूद्ध युद्ध के महौल का निर्माण किया।
● 1866 के सेडोवा के युद्ध मेंआँस्ट्रिया की पराजय तथा प्रशा से आँस्ट्रिया का प्रभुत्व समाप्त।
● दक्षिण जर्मन राज्यों में हस्तक्षेप एवं स्पेन की राजगद्दी के सवाल पर फ्रांस से युद्ध के महौल का निर्माण।
● नेपोलियन तृतीय द्वारा 19 जून 1870 को प्रशा पर आक्रमण लेकिन सेडान के युद्ध में फ्रांस की पराजय।
● 18 मई1871को फ्रांस के साथ फ्रैंकफर्ट की संधि के बाद जर्मनी के एकीकरण का कार्य पूर्ण हुआ।
■■■■■ अन्य देशों में राष्ट्रीय आंदोलन ■■■■
★ यूनान :- तुर्की प्रभुत्व के विरूद्ध राष्ट्रवादी भावना के उदय एवं इंग्लैण्ड ,फ्रांस एवं रूस के सहयोग से 1832 में यूनान का स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय ( एडियानोपल की संधि-1829)
★ हंगरी :- आँस्ट्रिया के प्रभाव के विरूद्ध कोसुथ और फ्रॉसिस डिक नामक क्रांतिकारियों द्वारा लोकतांत्रिक आंदोलन 1846को आँस्ट्रिया की सरकार द्वारा हंगरी में स्वतंत्र मंत्री परिषद की मांग स्वीकार्य। प्रतिनिधि सभा का राजधानी बुडापेस्ट में प्रतिवर्ष सम्मेलन को मान्यता एवं हंगरी के राष्ट्रीय स्मिता को महत्व।
● पोलैंड :- पोलैंड में राष्ट्रवादी आंदोलन को रूस के द्वारा दमन कर दिया गया।
● बोहेमिया :- बोहेमिया में राष्ट्रवादी आंदोलन कोआँस्ट्रिया के द्वारा दमन कर दिया गया।।
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