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I Am Ajeet Kumar
From – www.seniorcoachingcentre.com
आज के एस पोस्ट में , मैं Class 10th Science Subjective Notes PDF in Hindi | दसवी विज्ञानं भौतकी की नोट्स पीडीऍफ़ में लेकर आया हूँ जो 10th के विद्यार्थिओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं |
Class 10th Science Subjective Notes PDF in Hindi
परीक्षा प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन का एक अहम् हिस्सा जिसे पार करना अत्यंत आवश्यक है. दसवी कक्षा में पढ़ रहे विद्यार्थी के लिए वर्ष 2022 एग्जाम बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकिं करोना महामारी के कारण बच्चो की स्टडी सिलेबस पूरा नही हुआ है. जिसके करना उनके मन में परीक्षा का भय साफ-साफ नजर आ रहा है.
लेकिन अब चिंता की कोई आवश्यता नही है क्योंकि 2022 में होने वाले परीक्षा की तैयारी के लिए क्लास 10th साइंस पीडीऍफ़ नोट्स आपको प्रदान किया जा रहा है जो विज्ञानं विषय से आने वाले संभावित प्रश्नों से अवगत कराएगा.
सिलेबस में हुए देरी को पूर्ति करने के लिए साइंस नोट्स पीडीऍफ़ में यहं अंकित किया गया है. सभी विशेष पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाया गया ताकि ताकि आपको प्रैक्टिकल अलावे कैसे प्रश्न होने की संभावनाएं हो सकते है.
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प्रिय विद्यार्थियों नोट्स केवल प्रश्नों एवं उत्तरों का समूह नही है बल्कि यह एक अनुभव का समूह है जिसे आपको उपहार स्वरुप प्रदान किया जा रहा है ताकि आप 2022 में होने वाले परीक्षा में बेहतर रिजल्ट मार्क्स लाए और अपने जीवन को एक नई दिशा दे.
यहाँ आपकों भौतकी विज्ञान (physics), रसायन विज्ञान (Chemistry) और जीव विज्ञान (Biology) के अलग –अलग Subjective Question के साथ Answe भी दिया जा रहा हैं |
1. 1. रासायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण के प्रश्न उत्तर
Subjective
Question Answer Class 10th 2021
रासायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण के प्रश्न उत्तर
1. लोहे की वस्तओं को हम क्यों पेंट करते हैं ?
उत्तर ⇒ पेंट करने से लोहे के पदार्थ का ऊपरी भाग छुप
जाता है। वह वायु के साथ सीधे संपर्क में नहीं आता है जिसके कारण उसमें जंग नहीं
लगता। इसलिए पेट करने से हम लोहे के उस पदार्थ को जंग लगने से बचा सकते हैं।
2 . तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया
जाता है ?
उत्तर ⇒ तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थ को वायुरोधी
बर्तनों में रखने से उपचयन की गति धीमी हो जाती है। तेल एवं वसायुक्त पदार्थ को
नाइट्रोजन से भी इसीलिए युक्त किया जाता है ताकि उसमें उपचयन न हो सके।
3. कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे का एक टुकड़ा डाल देने पर विलयन का रंग
क्यों बदल जाता है ?
उत्तर ⇒ जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में
डुबोया जाता है तो वह भूरे रंग का हो जाता है। लोहा कॉपर सल्फेट के घोल में से
कॉपर को विस्थापित कर देता है।
Fe+CuSO4 → FeSO4
+Cu
4. उत्प्रेरक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ वैसे पदार्थ जो स्वयं रासायनिक प्रतिक्रिया में
भाग नहीं लेते हैं लेकिन प्रतिक्रिया के वेग को बढ़ाते हैं या घटाते हैं, उसे उत्प्रेरक कहते हैं। जैसे-Fe उत्प्रेरक की उपस्थिति में बेंजीन के हाइड्रोजन
परमाणु का क्लोरीन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापन-
C6H6+Cl2 → C6H5Cl + HCl
बेंजीन + क्लोरीन → क्लोरोबेंजीन + हाइड्रोजन क्लोराइड
5. वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम
रिबन को साफ क्यों किया जाता है ?
उत्तर ⇒ यदि मैग्नीशियम रिबन नम वायु के संपर्क में
रहता है तो उस पर सफेद रंग की मैग्नीशियम ऑक्साइड की पर्त जम जाती है, यह पर्त मैग्नीशियम के जलने में अवरोध पैदा
करती है। इसलिए मैग्नीशियम रिबन को पहले रेगमार से साफ किया जाता है।
6. प्रतिस्थापन अभिक्रिया क्या हैं ? उदाहरण दे ।
उत्तर ⇒ वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें अधिक
अभिक्रियाशील धातु अपने से कम अभिक्रियाशील धातु को यौगिक के विलयन या गलित अवस्था
से विस्थापित कर देती है उसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
Fe+CuSO4
→ FeSO4 +Cu
इस रासायनिक अभिक्रिया में Fe जो कि अधिक अभिक्रियाशील है Cu की अपेक्षा उसे विस्थापित कर उसके स्थान पर
स्वयं को प्रतिस्थापित कर रहा है।
7. वियोजन अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ वियोजन अभिक्रिया-जब एक बड़ा यौगिक टूटकर दो या
दो से अधिक यौगिकों में परिणत हो जाता है तो वैसी अभिक्रिया वियोजन अभिक्रिया
कहलाती है।
2KCIO3 → 2KCl+302
8. संतुलित रासायनिक समीकरण क्या है ? रासायनिक समीकरण को संतुलित करना
क्यों आवश्यक है ? .
उत्तर ⇒ संतुलित रासायनिक समीकरण वह है जिसमें
अभिकारकों और उत्पादों में विभिन्न तत्त्वों के परमाणुओं की संख्या समान होती है।
रासायनिक अभिक्रियाओं में द्रव्यमान के संरक्षण के नियम को संतुष्ट करने के लिए
रासायनिक समीकरण संतुलित होनी चाहिए।
9. ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी अभिक्रिया का क्या अर्थ है ?
उत्तर ⇒
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया – ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें ऊष्मा निकलती हैं, ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
उदाहरण — मीथेन दहन की अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया
है।
CH4 (g) + 2O2
(g) → CO2 (g) + 2H20 (g) + ऊर्जा (880.4 kJ mol-1)
ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ – ऐसी अभिक्रियाओं को जिनमें ऊष्मा अवशोषित होती
है, ऊष्माशोषी
अभिक्रियाएँ कहते हैं।
उदाहरण — बेरियम डाइऑक्साइड तथा अमोनियम थायासायनेट की
अभिक्रिया ऊष्माशोषी है। . \
Ba(OH)2.8H2O(s)+2NH4
SCN(s) → Ba(SCN)2 (aq)+2NH3 (aq) + 10H2O (l)
10. अवक्षेपण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण देकर समझाएँ।
उत्तर ⇒ जब दो विलयनों को मिलाया जाता है और उनकी
अभिक्रिया से श्वेत रंग के एक पदार्थ का निर्माण होता है जो जल में अविलेय है,
तो इस अविलेय पदार्थ
के अवक्षेप कहते हैं । जिस अभिक्रिया में अवक्षेप का निर्माण होता है उसे अवक्षेपण
अभिक्रिया कहते हैं।
Na2SO4 (aq) +
BaCl2 (aq) → BaSO4 (s) + 2NaCl (aq)
Ba 2+ तथा SO42– अभिक्रिया से BaSO4 के अवक्षेप का निर्माण होता है।
11. श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया क्यों कहते हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर ⇒ हमें जीवित रहने के लिए ऊर्जा चाहिए । यह ऊर्जा
हमें भोजन से मिलती है, जिसे
हम खाते हैं। पाचन के दौरान, भोजन सरल पदार्थों में टूट जाता है। उदाहरण के
लिए चावल, आलू
तथा ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। ये कार्बोहाइड्रेट टूटकर ग्लूकोस बनाते
हैं। यह ग्लूकोस हमारे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन से संयोग करते हैं और ऊर्जा
प्रदान करते हैं। इस अभिक्रिया का विशेष नाम श्वसन है।
C6H12O6
(aq) + 602 (aq) ——-→ 6CO2 (ar) + 6H2O (1) + ऊर्जा
ग्लूकोज चूँकि श्वसन अभिक्रिया में ऊष्मा
निकलती है, अतः
श्वसन अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
12. प्रकाश-अपघटन अभिक्रिया से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ अपघटन अभिक्रिया : अपघटन या वियोजन वह
अभिक्रिया है, जिसमें
किसी यौगिक के बड़े अणु के टूटने से दो या दो से अधिक पदार्थ बनते हैं, जिनके गुण मूल यौगिक के गुण से बिल्कुल भिन्न
होते हैं।
प्रकाश-ऊर्जा द्वारा अपघटन :-2AgCl(s) —सूर्य का प्रकाश → 2Ag(s) + Cl2 (g)
13. वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत क्यों कहा जाता है ?
उत्तर ⇒ वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो या अधिक पदार्थ
संयुक्त होकर केवल एक पदार्थ बनाते हैं, संयोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं तथा वे
अभिक्रियाएँ जिनमें यौगिक दो अधिक सरल पदार्थों में टूटता है, वियोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। अतः वियोजन
अभिक्रिया, संयोजन
अभिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है।
14. रासायनिक अभिक्रिया से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ जब कोई रासायनिक परिवर्तन होता है तो हम कहते
हैं कि रासायनिक अभिक्रिया हुई है। जैसे भोजन पकाना, अंगूर का किण्वन तथा साँस लेना आदि। ये सभी
क्रियाएँ रासायनिक अभिक्रिया के कारण सम्पन्न होती हैं।
15. संतुलित और असंतुलित समीकरण में क्या अन्तर है ?
उत्तर ⇒ रासायनिक समीकरण में तीर के दोनों ओर उपस्थित
तत्त्वों में परमाणुओं की संख्या समान होनी चाहिए। ऐसे समीकरणों को संतुलित समीकरण
कहते हैं। ऐसे समीकरण जिसमें अभिकारक और प्रतिफल तीर के चिह्न के साथ दर्शाये गए
हैं किंतु तीर चिह्न के दोनों ओर उपस्थित परमाणुओं की संख्या समान नहीं हो,
असंतुलित समीकरण
कहलाता है।
16. क्या श्वसन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है ? इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ सभी वस्तुओं को जीवित रहने के लिए ऊर्जा की
आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा हमें भोजन से प्राप्त होती है। पाचनक्रिया के समय खाद्य
पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं। जैसे चावल, आलू, ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। इस
कार्बोहाइड्रेट के टूटने से ग्लूकोज प्राप्त होता है। ग्लूकोज हमारे शरीर की
कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। इस अभिक्रिया
का विशेष नाम श्वसन है। अतः श्वसन भी एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
17. संक्षारण से क्या समझते हैं ? क्या आप दैनिक जीवन में इनके
प्रभावों को देख सकते हैं ?
उत्तर ⇒ आप जानते हैं कि लोहे की बनी हुई नई वस्तुएँ
चमकीली होती हैं। कुछ दिन बाद वायु में छोड़ दिए जाने पर इसकी सतह पर लालिमायुक्त
भूरे रंग की परत चढ़ जाती है। इस प्रक्रिया को लोहे पर जंग लगना कहा जाता है। यह
अभिक्रिया अन्य धातुओं की परतों पर भी होती रहती है और उनका रंग बदलता है। जब कोई
धात अपने आस-पास अम्ल, आर्द्रता
आदि के सम्पर्क में आती है एवं संक्षारित हो जाती है तब इस प्रक्रिया को संक्षारण
कहते हैं। संक्षारण के कारण लोहे की बनी वस्तुएँ खराब हो जाती हैं।
18. बुझे हुए चूने के विलयन का उपयोग दीवारों की सफेदी करने में क्यों किया
जाता है ?
उत्तर ⇒ कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड वायु में उपस्थित
कार्बन डाइऑक्साइड के साथ धीमी गति से अभिक्रिया करके दीवारों पर कैल्सियम
कार्बोनेट की एक पतली परत बना देता है। सफेदी करने के दो-तीन दिन बाद कैल्सियम
कार्बोनेट का निर्माण होता है और इससे दीवार पर चमक आ जाती है। यही कारण है कि
बुझे हुए चूने के विलयन का उपयोग दीवार पर सफेदी करने में किया जाता है।
2. 2.अम्ल क्षारक एवं लवण ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
Question
Answer Class 10th Science For Matric Exam 2022
1.अम्ल किसे कहते हैं ?
उत्तर⇒ अम्ल वह पदार्थ है जिसका स्वाद खट्टा होता है
जो नीले लिटमस के घोल को लाल बनाता है, जलीय विलयन में (H+) आयन मुक्त करता है तथा धातु पर इसकी अभिक्रिया
से हाइड्रोजन गैस मुक्त होते हैं।
जैसे—HCl, HNO3, H2SO4आदि।
2. क्षारक क्या है ?
उत्तर⇒ क्षारक वह पदार्थ है जिसका स्वाद कड़वा होता है;
लाल लिटमस पत्र
को नीला बनाता है। इसका जलीय विलयन (OH– ) आयन मुक्त करता है तथा अम्ल से अभिक्रिया कर
लवण बनाता है।
जैसे- NaOH, CuO, Ca0 तथा Ca(OH)2 आदि।
3. लवण किसे कहते हैं ?
उत्तर⇒ वे पदार्थ लवण कहलाते हैं जो लिटमस पत्रों के
प्रति उदासीन होते हैं। धातु और अम्ल के बीच अभिक्रिया के फलस्वरूप लवण बनते हैं।
Zn
+ 2HCl → ZnCl + H2
4. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है?
उत्तर⇒ शुष्क अम्ल (HCL) विद्युत का चालन नहीं करता है। शुष्क अवस्था
में HCl, H+ आयन
विमुक्त नहीं करता है। ज्योंहि अम्ल में जल की कुछ मात्रा मिला दी जाती है तो यह H+
आयन विमुक्त
करने लगता है। अम्ल में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर विद्युत धारा आसानी से बहने
लगता है।H+ आयन
के चलते जल से विद्युत धारा बहती है। जल विद्युत का चालन करने लगता है।
5. अम्लीय और भस्मीय मूलक क्या है? उदाहरण के साथ समझावें।
उत्तर⇒ लवण दो आयनों से मिलकर बनते हैं। उनमें से एक
धनायन और दूसरा ऋणायन है। धनायन भस्म से प्राप्त होता है जबकि ऋणायन अम्ल से
प्राप्त होता है। भस्म से प्राप्त आयन को भस्मीय मूलक और अम्ल से प्राप्त आयन को
अम्लीय मूलक कहते हैं। जैसे सोडियम क्लोराइड के बनने में Na+ (भस्मीय मूलक) और Cl (अम्लीय मूलक) आपस में संयोग कर NaCl लवण बनाता है।
6. सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (NaHCO3)
का दो उपयोग लिखें।
उत्तर⇒ सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के दो उपयोग
(i)
सोडा अम्ल
अग्निशामक में किया जाता है।
(ii)
सोडियम
हाइड्रोजन कार्बोनेट ऐन्टैसिड का एक संघटक है। क्षारीय होने के कारण यह पेट में
अम्ल की अधिकता को उदासीन करके राहत पहुंचाता है।
7. लिटमस विलयन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर⇒ लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है जो
थैलो फाइटा समूह के लाइकेन पौधे से निकाला जाता है। प्रायः इसे सूचक की तरह उपयोग
किया जाता है। लिटमस विलयन उदासीन होता है और यह बैंगनी रंग का होता है। बहुत से
प्राकृतिक पदार्थ जैसे- लाल पत्ता गोभी, हल्दी, हायड्रोजिया, पेट्रोनिया एवं जेरानियम जैसे कई फूलों की
रंगीन पंखुड़ियों किसी विलयन में अम्ल एवं क्षारक की उपस्थिति को सूचित करता है।
इसे अम्ल-क्षार सूचक अथवा सूचक कहा जाता है।
8. पीतल या ताँबे के बरतनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने
चाहिए ?
उत्तर⇒ ताँबे या पीतल के बरतन में दही नहीं रखना
चाहिए। दही में अम्लीय गुण होता है, क्योंकि दही खट्टा होता है। ताँबे के साथ दही
की अभिक्रिया (दही में लेक्टिक अम्ल है) के फलस्वरूप धातु के लवण बनते हैं और दही
का स्वाद बदल जाता है।
दही + कॉपर → कॉपर लवण + हाइड्रोजन
9. केक या पावरोटी बनाने में बेकिंग पाउडर का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर⇒ बेकिंग पाउडर बेकिंग सोडा और टार्टरिक अम्ल का
मिश्रण होता है। जब इसे जल में मिलाया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होता
है।
NaHCO3 + H+ → CO2 + अम्ल का सोडियम लवण
इस अभिक्रिया से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड के
कारण पावरोटी या केक फूल जाता है तथा इससे यह मुलायम और स्पंजी हो जाता है।
10. ब्लीचींग पाउडर बनाने की विधि एवं उपयोगिता लिखें।
उत्तर⇒ शुष्क बुझा हुआ चूना पर क्लोरीन गैस की क्रिया
से विरंजक चूर्ण बनता है।
Ca(OH)2 + Cl2 →
CaOCl2 + H2O
इसके उपयोग –
(i) लांड्री में साफ कपड़ों के विरंजन के लिए।
(ii) पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए
रोगाणुनाशक के रूप में।
11. धोबिया सोडा एवं बेकिंग सोडा में
अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒धोबिया सोडा एवं बेकिंग सोडा में अंतर
12. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के कुछ उपयोगों को लिखिए।
उत्तर⇒ हाइड्रोजन क्लोराइड के निम्नांकित उपयोग हैं
(i) इस्पात की सफाई करने में
(ii) अमोनियम क्लोराइड बनाने में
(iii) औषधियों के निर्माण में एवं
(iv) सौंदर्य प्रसाधन में।
13. सोडियम हाइड्रॉक्साइड के कुछ उपयोगों को लिखिए।
उत्तर⇒ सोडियम हाइड्रॉक्साइड के निम्नांकित उपयोग हैं-
(i) धातुओं से ग्रीज हटाने में प्रयुक्त होता है,
(ii) साबुन बनाने में इसका उपयोग किया जाता है,
(iii) अपमार्जक के निर्माण में,
(iv) कागज बनाने में तथा
(v) कृत्रिम फाइबर बनाने में उपयोगी है।
14. आयोडिनयुक्त नमक के उपयोग की क्यों सलाह दी जाती है?
उत्तर⇒ आजकल आयोडिनयुक्त नमक के उपयोग पर काफी जोर
दिया जाता है। आयोडिन हमारे शरीर के लिए आवश्यक तत्त्व है। इसकी कमी से थॉयराइड से
संबंधित रोग होते हैं। आयोडिन की कमी से आमतौर पर घेघा रोग होता है। साधारण नमक
में थोड़ा पोटैशियम आयोडेट या पोटैशियम आयोडाइड मिला देने पर आयोडाइज्ड नमक बन
जाता है। इसके सेवन से शरीर में आयोडिन की कमी नहीं हेती है।
15. कॉपर सल्फेट के शुष्क क्रिस्टल को गर्म करने पर उसपर होने वाले
प्रभावों को लिखें।
उत्तर⇒ एक शुष्क परखनली में कॉपर सल्फेट के कुछ
क्रिस्टल लेकर स्पिरीट लेम्प पर गर्म कीजिए। गर्म करने पर इसका नीला रंग समाप्त हो
जाता है और यह श्वत हो जाता है। परखनली की दीवार पर जल की बूंदें दिखाई पड़ती हैं।
क्रिस्टल में 5
अणु जल हाते हैं। जल के हटने पर क्रिस्टल रंगहीन (श्वेत) हो जाता है। अगर इस श्वत
पदार्थ पर पुन: जल की बूंदें डाली जाएँ तो इसका रंग पुनः नीला हो जाता है। कॉपर
सल्फट क्रिस्टल में जल के अणु वर्तमान रहते हैं। अंत: इसका रंग नीला
होता है।
16. अम्ल एवं क्षारक के बीच की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं, क्यों? एक उदाहरण दें।
उत्तर⇒ अम्ल एवं क्षारक के बीच की अभिक्रिया से लवण
तथा जल बनता है अर्थात दोनों एक-दूसरे को उदासीन कर देते हैं। इसलिए अम्ल एवं
क्षारक के बीच की अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण- अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है
NaOH+ HCl → NaCl+H2O
17.हमारे अमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?
उत्तर⇒ हमारे अमाशय में अम्ल की भूमिका –
(i) हमारे आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जठर
ग्रन्थियों से स्रावित होता है और भोजन में अम्लीय माध्यम प्रस्तुत करता है जिससे
जठर रस का पेप्सिन नामक एन्जाइम अम्लीय माध्यम में कार्य कर सके।
(ii) यह भोजन में उपस्थित रोगाणुओं को अक्रियाशील
एवं नष्ट करता है।
(iii) यह भोजन को शीघ्रता से नहीं पचने देता।
18. अस्पतालों में टूटी हुई अस्थियों को जोड़कर बैठाने के लिए उपयोग में
लाए जाने वाले यौगिक का नामोल्लेख कीजिए। इसको कैसे निर्मित करते हैं?
उत्तर⇒ अस्पतालों में टूटी हुई हड्डियों को जोडने के
लिए जिस यौगिक का प्रयोग किया जाता है उसे प्लास्टर ऑफ पेरिस कहते हैं। इसे
रासायनिक दष्टि से कैल्सियम सल्फेट हेमी हाइड्रेट (CaSO4. 1/2 H2O) कहते हैं । इसे भट्ठी में जिप्सम को 373
K ताप पर गर्म
करके बनाया जाता है ।
प्लास्टर ऑफ पेरिस
19. विरंजक चूर्ण के क्या-क्या महत्त्वपूर्ण उपयोग हैं ?
उत्तर⇒ विरंजक चूर्ण के निम्न महत्त्वपूर्ण उपयोग हैं-
(i) इसे सूती कपड़े, लिनन और लकड़ी के गुद्दे में उड़ाने के लिए
प्रयुक्त किया जाता है।
(ii) पीने योग्य पानी से हानिकारक जीवाणुओं के नाश
के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म बनाने में प्रयुक्त होता है।
(iv) न सिकुड़ने वाली ऊन का इसकी सहायता से निर्माण
किया जाता है ।
(v) प्रयोगशाला और उद्योगों में ऑक्सीकारक का कार्य
करता है ।
20. अम्लों के सामान्य गुण बताएँ।
उत्तर⇒ अम्लों के सामान्य गुण-
(i)
इनका स्वाद
खट्टा होता है ।
(ii) ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।
(iii) इनका घोल साबन के घोल की तरह चिकना नहीं होता।
(iv) ये धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस
बनाते हैं।
(v) ये कार्बोनेट के साथ क्रिया करके कार्बन
डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं।
(vi) अम्ल, क्षारकों से क्रिया करके लवण और पानी बनाते हैं
।
21. अम्लों की हमारे जीवन में हानियाँ लिखिए।
उत्तर⇒ अम्लों की हमारे जीवन में हानियाँ –
(i) ये सजीव कोशिकाओं को नष्ट करते हैं।
(ii) सांद्र अम्ल त्वचा और कोमल अंगों को गंभीर
क्षति पहुँचाते हैं।
(iii) कुछ खाद्य पदार्थों को खराब कर देते हैं।
22. क्षारकों के सामान्य गुण लिखें।
उत्तर⇒ क्षारकों के सामान्य गुण निम्न हैं-
(i) इनका स्वाद कड़वा होता है।
(ii) ये साबुन जैसे चिकने होते हैं तथा त्वचा को
क्षति पहुँचाते हैं।
(iii) ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।
(iv) ये हल्दी के रंग को भूरा लाल कर देते हैं।
(v) ये अम्लों के साथ क्रिया करके लवण तथा पानी
बनाते हैं।
(vi) ये फिनालफ्थेलिन के घोल को गुलाबी कर देते हैं।
23. साधारण नमक (NaCl) की प्राप्ति कहाँ-कहाँ से होती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर⇒ साधारण नमक निम्नलिखित सोतों से प्राप्त होता
है-
(i) समुद्री-जल- समुद्री जल में साधारण नमक की बहुत
बड़ी मात्रा घुली हुई है। समुद्री जल से नमक की प्राप्ति ‘लवण क्यारियों’ के माध्यम से होती है । सूर्य के ताप और वायु
की सहायता से समुद्री जल का वाष्पीकरण होता है । इससे नमक की प्राप्ति होती है ।
इस नमक में MgCl2. MgSO4, जैसी अनेक अशुद्धियाँ मिली होता है। इन
अशुद्धियों को दूर कर शद्ध नमक प्राप्त कर लिया जाता है। .
(ii) खनिज नमक- संसार के अनेक भागों में ठोस लवण का
निक्षेप होता है। यह खनिज लवण तब बना था जब युगों पहले समुद्र का कोई हिस्सा सूख
गया था। इस नमक का खनन उसी प्रकार होता है जैसे कोयले का किया जाता है। मंडी
(हिमाचल प्रदेश), खेवड़ा
(पाकिस्तान) आदि में ऐसा नमक उपलब्ध है। अशुद्धियों के कारण यह नमक प्रायः भूरे
रंग का होता है। कभी-कभी भूमि तल की गहराई से जल में घोलकर पंपों की सहायता से
बाहर निकाला जाता है।
(iii) झीलों से- राजस्थान की सांभर झील, अमेरिका की ग्रेट साल्ट लेक, रूस की लेक एल्टन आदि से भी नमक प्राप्त किया
जाता है। इसे जल के वाष्पीकरण से प्राप्त किया जाता है।
24. धोने का सोडा तथा बेकिंग सोडे के दो-दो प्रमख उपयोग बताइए।
उत्तर⇒ धोवन सोडे के उपयोग-
(i) जल की स्थायी कठोरता को दूर करने के लिए
(ii) काँच, साबुन, पेपर तथा बोरॉक्स, कॉस्टिक सोडा इत्यादि अनेक महत्त्वपूर्ण
यौगिकों के उत्पादन के लिए
बेकिंग सोडे के उपयोग-
(i) एन्टैसिड का एक संघटक क्षारीय होने के कारण
अम्ल के आधिक्य को उदासीन करता है।
(ii) यह खाद्य एवं पेय पदार्थों के योज्य पदार्थ के
रूप में प्रयुक्त होता है। बेकिंग चूर्ण में सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट एवं
टार्टरिक अम्ल या इस जैसा एक अम्ल होता है। जब बेकिंग चूर्ण को गर्म करते हैं तो
इसमें विद्यमान सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट विखंडित होकर, कार्बन डाइऑक्साइड एवं सोडियम कार्बोनेट प्रदान
करता है। कार्बन डाइऑक्साइड बाध्य करके ब्रेड एवं केक फूल जाते हैं।
25. प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग क्या है ?
उत्तर⇒
प्लास्टर ऑफ
पेरिस का उपयोग –
(i) इसे साँचे, खिलौने, सिरेमिक बर्तन आदि बनाने में प्रयुक्त किया
जाता है ।
(ii) सजावटी सामान, मूर्तियाँ आदि इससे बनाए जाते हैं।
(iii)अस्पतालों में अस्थि विभाग और दंत विभाग के
द्वारा इसका पयाप्त किया जाता है। यह टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्रयुक्त
किया जाता है और टूटे हुए दाँतों के स्थान पर नकली दाँत लगाने के सांचेबनाए जाते
हैं।
(iv) भवनों की दीवारों और छतों को समतल करने और उन
पर डिजयान के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
(v) अग्निशमन संबंधी सामग्री इससे तैयार की जाती
है।
(vi) प्रयोगशालाओं में गैसों का रिसाव इससे रोका
जाता है।
3. 3. धातु एवं अधातु ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
Class
10th Science Dhatu Aur Adhatu Subjective Question Answer For Bihar Board
1. धातु किसे कहते हैं ?
उत्तर⇒ आवर्त सारणी के बायीं तरफ तथा मध्य में रखे
जाने वाले तत्त्व धातु कहलाते हैं, जिनमें धात्विक चमक होती है । वे प्रायः तन्य,
आघातवर्ध्य,
विद्युत् और
ऊष्मा की सुचालक, दृढ़
और अधिक घनत्व वाली होती हैं। इनके ऑक्साइड क्षारीय प्रकृति के होते हैं । लोहा,
सोना, चाँदी, ताँबा, प्लैटिनम आदि धातुओं के उदाहरण हैं ।
2. धातुओं के दो रासायनिक गणों को लिखें।
उत्तर⇒(i) धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं।
(ii) अम्लों से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस
विस्थापित करते हैं।
2Na +2HCL→ 2NaCl + H2
3. अधातु के दो गुणधर्मों को लिखें।
उत्तर⇒ (i) अधिकतर अधातुएँ गैसीय अवस्था में पाये जाते
हैं।
(ii) अधातुएँ सोनोरस ध्वनि उत्पन्न नहीं करते हैं।
4. कौन-सी धातुएँ आसानी से संक्षारित नहीं होती हैं ?
उत्तर⇒ सोना और चाँदी ऐसी धातुएँ हैं जो
अभिक्रियाशीलता श्रेणी में सबसे नीचे आती हैं। ये धातुएँ काफी कम अभिक्रियाशील
हैं। ऐसी धातुएँ आसानी से संक्षारित नहीं होती हैं।
5. धातुओं का परिष्करण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर⇒ अपचयन प्रक्रम से प्राप्त धातुएँ शुद्ध नहीं
होती हैं। इनमें अपद्रव्य होती हैं। शुद्ध धातु की प्राप्ति इन अपद्रव्यों को धातु
से हटाकर किया जाता है। अत: अशुद्ध धातुओं से अपद्रव्यों को हटाना धातुओं का
परिष्करण कहा जाता है।
6. ऐसा धातु का उदाहरण दीजिए जो-
(i) कमरे के ताप पर द्रव होता है।
(ii) चाकू से आसानी से काटा जा सकता है।
(iii) ऊष्मा का सबसे अच्छा चालक हाता है।
(iv) ऊष्मा का कुचालक होता है।
उत्तर⇒ (i) पारा (ii) सोडियम तथा पोटाशियम, (iii) सोना और चांदी (iv) लेड तथा मरकरी।
7. मिश्रधातु क्या है ? तांबे के मिश्रधातु के दो उदाहरण
दें।
उत्तर⇒ किसी धातु में अन्य धातु या अधातु की एक
निश्चित मात्रा मिलाकर इच्छित गुण-धर्म वाली मिश्रधातुएँ प्राप्त की जा सकती हैं।
ताम्बे के दो मिश्रधातु निम्नांकित हैं—पीतल और काँसा। पीतल में 80% Cu और काँसा में 90% Cu पाया जाता है।
8. धातुएँ विद्युत के सुचालक क्यों होती हैं ?
उत्तर⇒ धातुएँ विद्युत के अच्छे चालक होते हैं। ये
विद्युत धनात्मक भी हैं। इसमें इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति तीव्र होती है। ये
ताप और विद्युत के सुचालक होते हैं। इसके तार से होकर विद्युत का प्रवाह आसानी से
की जा सकती है। धातुओं को चालकता उनमें उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन के कारण होती है।
ये इलेक्ट्रॉन धातु से होकर आसानी से दौड़ सकत हैं। यही कारण है कि धातु विद्युत
और ताप के अच्छे चालक हैं।
9. संयोजकता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर⇒ किसी भी तत्त्व को संयाजकता उसक परमाण के सबसे
बाहरी काश में उपस्थित संयाजकता इलक्ट्रॉनों की संख्या से निर्धारित होती है। मान
लिया कि एक तत्त्व Na है।
इसका परमाणु संख्या: 11
है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,1 है। अत: परमाण के बाहरी काश में इलेक्ट्रॉन
संख्या । है। अत: इसकी संयोजकता 1 होगी।
10. आघातवर्थ्य तथा तन्य का अर्थ बताइए।
उत्तर⇒ कुछ धातुओं को पीटकर उनके चद्दर बनाए जाते हैं।
इस गुणधर्म का आघातवर्थ्यता कहते हैं और धातु आघातवर्ध्य कहलाती है। किसी धातु के
पतले तार खींचे जा सकते हैं। धातुओं के इस गुणधर्म को तन्यता कहते हैं तथा धातु
तन्य कहलाती है। एक ग्राम सोने से 2 किमी लंबा तार बनाया जा सकता है।
11. संक्षारण से क्या समझते हैं?
उत्तर⇒ जब धात सतह जल, वायु अथवा आस-पास के अन्य किसा पदार्थ से
प्रभावित होती है, तो
इसे धातु का संक्षारित होना कहते हैं तथा इस परिघटना का संक्षारण कहा जाता है।
गोल्ड तथा सिल्वर जैसी उत्कष्ट धातएँ सुगमतापूर्वक संक्षारित नहीं होती हैं।
एलुमिनियम जैसी धातुएँ संक्षारित नहीं होती हैं।
12. संक्षारण से बचने की तीन विधियों को लिखें।
उत्तर⇒ संक्षारण रोकने की तीन विधियाँ –
(i) यशदलेपन द्वारा
(ii) विद्युत लेपन द्वारा
(iii) एनोडीकरण द्वारा
13. एक धातु और एक अधातु का नाम लिखें जो वायु के सम्पर्क में आने पर जल
उठते हैं ?
उत्तर⇒ सोडियम धातु वायु के सम्पर्क में आन पर
वायमंडलीय सामान्य ताप पर ही जल उठते हैं। श्वेत फॉस्फोरस अधातु है इसे पानी में
डुबाकर रखा जाता है। यह वायु के सम्पर्क में आते ही जल उठता है।
14. जब धातुएँ नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया करती है तो हाइड्रोजन गैस
उत्सर्जित नहीं होता है। क्यों ?
उत्तर⇒ क्योंकि HNO3 एक प्रबल ऑक्सीकारक है जो उत्पन्न हाइड्रोजन
का ऑक्सीकृत करके जल में परिवर्तित कर देता है एवं स्वयं नाइट्रोजन के किसी
ऑक्साइड (N2O, NO, NO2 ) में अपचयित हो जाता है। लेकिन Mn ही एक ऐसा धातु है जो अति तनु HNO3 के साथ अभिक्रिया कर H2 गैस उत्पन्न करता है।
15. एनोड पंक क्या है? उदाहरण के साथ समझावें।
उत्तर⇒ विद्युत शोधन में जब विद्युत धारा प्रवाहित की
जाती है तब एनोड पर स्थित अशद्ध धातु केटायन के रूप में घोल में जाने लगती है।
उतनी ही मात्रा में शुद्ध धातु कैथोड पर जमा होती है। घुलनशील अशुद्धियाँ घोल में
चली जाती हैं। अघुलनशील अशुद्धियाँ एनोड के नीचे जमा हो जाती हैं। इन्हें एनोड पंक
कहते हैं।
16. निम्न पदों की परिभाषा दें–
उत्तर⇒
(i) खनिज- भू-पर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने
वाले तत्त्वों या यौगिकों को खनिज कहते हैं। ये प्रायः खानों से निकाले जाते हैं।
(ii) अयस्क- वैसे खनिज जिनसे धातु का व्यावसायिक उत्पादन
होता है, अयस्क
कहलाते हैं। अयस्कों में धातु प्रचुर मात्रा में उपस्थित होते हैं। इससे धात का
उत्पादन सरलता से कम खर्च में होता है।
(iii) गैंग- पथ्वी से प्राप्त खनिज अयस्कों में मिट्टी,
रेत आदि कई
अशद्धियाँ होती हैं। धातओं के निष्कर्षण स पहल अयस्क से अशुद्धियों को हटाना
आवश्यक होता है। ये अशुद्धियाँ गैंग कहे जाते हैं। अयस्कों को गैंग से हटाने के
लिए जिन प्रक्रियाओं का उपयोग होता है वे अयस्क एवं गैंग के भौतिक अथवा रासायनिक
गुण धर्मों पर आधारित होते हैं। इनके पृथक्करण के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग
किया जाता है।
(iv) निस्तापन- अयस्क को उसके द्रवणांक से कम तापक्रम पर
तीव्रता से गर्म करने की क्रिया जिससे उड़नशील अशुद्धियाँ बाहर निकल जाती हैं और
ऑक्सीलवण ऑक्साइड में परिणत हो जाता है निस्तापन कहा जाता है। .
(v) भर्जन-अयस्क को वायु की अनियंत्रित आपूर्ति में उसके
द्रवणांक से कम तापक्रम पर तीव्रता से गर्म करने की क्रिया भर्जन कहलाती है। इसमें
अशुद्धियाँ ऑक्सीकृत होकर बाहर निकल जाती है।
17. आघातवर्ध्यता से क्या समझते हैं ?
उत्तर⇒ कुछ धातुओं को पीटकर चद्दर बनाए जाते हैं। इस
गुणधर्म का आघातवर्ध्यता कहते हैं। इसी गुण के कारण एलुमिनियम के चद्दर, लोहे के चद्दर आदि बनाए जाते हैं।
18. पोटैशियम तथा सोडियम धातुओं को किरोसीन तेल में डुबाकर क्यों रखा जाता
है?
उत्तर⇒ सोडियम तथा पोटैशियम तीव्र अभिक्रियाशील तत्त्व
हैं। यह वायुमंडलीय ताप पर ही जल उठता है। अत: इसे खुले वायु में रखने से दुर्घटना
की सम्भावना होती है। यही कारण है कि इसे किरोसीन तेल में डुबा कर रखा जाता है
जिससे इसकी अभिक्रियाशीलता बिलकुल कम हो जाती है और यह वायमंडलीय ताप से अप्रभावित
रहता है।
19.आयनिक यौगिकों के गलनांक उच्च क्यों होते हैं ?
उत्तर⇒ आयनिक यौगिक ठोस अवस्था में पाए जाते हैं।
इनमें अंतर आण्विक आकर्षण बल काफी मजबूत होते हैं। अतः अंतर आण्विक आकर्षण को
तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि आयनिक यौगिकों के
गलनांक काफी उच्च होते हैं।
20. द्विधर्मी ऑक्साइड क्या है? उदाहरण दें।
उत्तर⇒ वैसे ऑक्साइड को द्विधर्मी अथवा उभयधर्मी
ऑक्साइड कहे जाते हैं जिनमें अम्लीय और क्षारीय दानों गुण मौजूद होते हैं। जैसे
एलुमिनियम ऑक्साइड। ये अम्लों और क्षारों से अभिक्रिया कर भिन्न-भिन्न यौगिकों का
निर्माण करता है।
Al2O3 + 6HCI → 2AICI3 + 3H2O
Al2O3 + 2NaOH →
2NaAIO2 + H2O
21. कैरेट सोना का क्या अर्थ है ?
उत्तर⇒ शुद्ध सोने को 24 कैरेट कहते हैं। यह काफी नर्म होता है। इससे
आभूषण बनाना कठिन है। आजकल गहने बनाने के लिए 22 कैरेट सोने की आवश्यकता होती है। 22 कैरेट सोना थोड़ा कठोर होता है। इसमें 22 भाग शुद्ध सोना और 2 भाग ताँबा या चाँदी मिला रहता है।
22. चाँदी, सोना एवं प्लैटिनम का उपयोग आभूषण
बनाने में किया जाता है। क्यों ?
उत्तर⇒ सोना एक कोमल, सुनहले रंग का कीमती धातु है। इसका मुख्य उपयोग
आभूषण बनाने में होता है। सोने की शुद्धता को कैरेट (Carat) में मापते हैं। शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है। आभूषण बनाते समय शुद्ध सोने
में कम कीमती धात् ताँबा या चाँदी थोडा मिला दिया जाता है, जिससे वह कुछ कठोर बन जाता है। सोने के बने
आभूषण 22
कैरेट के होते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इन आभूषणों में 22 भाग सोना 2 भाग ताँबा या चाँदी की मिलावट है। 24 कैरेट सोना को 18 कैरेट सोना में बदलने के लिए 18 भाग सोना में 6 भाग ताँबा या चाँदी मिश्रित कर देते हैं। इस
प्रकार चाँदी तथा प्लैटिनम का उपयोग किया जाता है
23. ध्वानिक (सोनोरस) किसे कहते हैं ?
उत्तर⇒ जब धातुएँ किसी कठोर सतह से टकराती है तो उनसे
एक विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। इसे धातुई ध्वनि कहते हैं। इस प्रकार
की धातुएँ ध्वानिक कहलाती हैं। स्कूल की घंटी से निकलने वाली ध्वनि इसका उदाहरण
है।
24. एक्वारेजिया से क्या समझते हैं? इसके क्या उपयोग हैं ?
उत्तर⇒ एक्वारेजिया 3 : 1 के अनुपात में सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं
सांद्र नाइट्रिक अम्ल का ताजा मिश्रण होता है। यह गोल्ड को गला सकता है। जबकि
दोनों अम्लों में से प्रत्येक की यह क्षमता नहीं है। एक्वारेजिया भभकता द्रव होने
के साथ प्रबल संक्षारक है। यह उन अभिकर्मकों में से एक है जो गोल्ड तथा प्लैटिनम
को भी आसानी से गला सकता है।
25. थर्मिट अभिक्रिया क्या है?
उत्तर⇒ आयरन (III) ऑवसाइड ( Fe2O3 )
के साथ
एल्युमीनियम की अभिक्रिया काफी तीव्र होती है और काफी ऊष्मा निकलता है इसका उपयोग
रेल की पटरियों को जोड़ने में होता है। इस अभिक्रिया को थर्मिट अभिक्रिया कहते
हैं।
26. अयस्कों के समृद्धीकरण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर⇒ पृथ्वी से निकलने वाले अयस्कों में मिट्टी,
रेत आदि जैसी कई
अशुद्धिया हटाना अयस्कों का समृद्धीकरण कहा जाता है।
27. लोहे को जंग से बचाने के दो उपाय बताइए।
उत्तर⇒ लोहे पर जंग लगने से बचाने के लिए लोहे की
वस्तुओं पर पेंट करके, तेल
लगाकर, ग्रीज
लगाकर, यशद
लेपन, क्रोमियम
लेपन, एनोडीकरण
या मिश्रधातु बनाकर आदि उपाय किए जाते हैं। इससे लोहे का संक्षारण रूक जाता है और
लाह की वस्तुएँ बर्बाद होने से बच जाती है।
28. कॉपर को वायु में खुला छोड़ने पर वह हरे रंग का हो जाता है। क्यों ?
उत्तर⇒ कॉपर वायु में उपस्थित आर्द्र कार्बन
डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करता है। जिससे इसकी सतह से भूरे रंग की चमक
धीरे-धीरे खत्म हो जाती है तथा इस पर हरे रंग की चमक चढ़ जाती है। यह हरा पदार्थ
कॉपर कार्बोनेट होता है।
29. हवाई जहाजों का ढाँचा ऐलुमिनियम के मिश्र धातुओं से क्यों बनाया जाता
है ? वर्णन करें।
उत्तर⇒ हवाई जहाज का ढाँचा ऐलुमिनियम के मिश्र धातुओं
डुरेलिमिन और मैग्लिनियम से निम्नलिखित कारणों से बनाया जाता है –
(i) ये अति हल्की मिश्र धातु है जिसका आपेक्षिक
घनत्व बहुत कम है।
(ii) सुचालक होने के कारण विद्युत् प्रेषण तारें
इनसे बनाई जा सकती हैं।
(iii) इन पर जंग नहीं लगता।
(iv) इन मिश्र धातुओं की कठोरता बहुत अधिक होती है।
(v) ये रसायनों के प्रति बहुत क्रियाशील नहीं है।
30. सल्फाइड अयस्क के सांद्रण के लिए फेन-उत्प्लावन विधि का संक्षेप में
वर्णन करें।
उत्तर⇒ सल्फाइड अयस्कों का सांद्रण करने के लिए उन्हें
खूब महीन पीसकर पाइन के तेल मिले जल के साथ मिलाकर हवा के झोके के द्वारा झाग पैदा
किया जाता है। शुद्ध अयस्क झाग के साथ ऊपर आ जाता है तथा अशुद्धियाँ नीचे बैट जाती
हैं। यह विधि फेन उत्प्लावन विधि कहलाती है।
31. सोडियम को केरोसीन तेल में डुबोकर क्यों रखा जाता है?
उत्तर⇒ सोडियम सक्रिय धातु है जो वायु में उपस्थित
ऑक्सीजन से क्रिया करके सोडियम ऑक्साइड बनाती है। यह पानी से क्रिया कर सोडियम
हाइड्रोक्साइड तथा हाइड्रोजन उत्पन्न करती है। वायु में खुला छोड़ देने पर यह आग
पकड़ लेती है। इसलिए इसे मिट्टी के तेल में डुबोकर सुरक्षित रखते हैं।
32. वल्कनीकरण किसे कहते हैं ? इस प्रक्रिया में रबड़ में क्या
परिवर्तन आते हैं ?
उत्तर⇒ सल्फर को प्राकृतिक रबड़ के साथ मिश्रित करने
की प्रक्रिया को वल्कनीकरण कहते हैं। जब प्राकृतिक रबड़ को सल्फर से मिलाकर गर्म
करते हैं तो रबड़ अधिक कठोर तथा कम लचकदार हो जाता है। रबड़ एक बहुलक है जिसमें एक
ही तल में अणुओं की एक लंबी श्रृंखला होती है जिसके कारण रबड़ को खींचा जा सकता है
परंतु सल्फर मिलाने से उसका लचीलापन समाप्त हो जाता है क्योंकि सल्फर रबड़ की
श्रृंखला के समान अणुओं के मध्य आड़े बंध बनाता है। सल्फर कार्बन परमाणुओं के
घूर्णन में भी बाधा डालती है।
33. खनिज और अयस्क क्या हैं ? लोहे के दो अयस्कों के नाम उनके
आणविक सूत्र के साथ लिखें ।
उत्तर⇒ खनिज : ऐसे प्राकृतिक पदार्थ जिनमें धातुएँ
अपने यौगिकों के रूप में होती हैं, खनिज कहलाते हैं। जैसे-फैल्सपार, अभ्रक आदि।
अयस्क : इन खनिजों को जिनसे लाभप्रद ढंग से
धातुओं का निष्कर्षण किया जाता है, अयस्क कहलाते हैं। जैसे-हेमेटाइट, बॉक्साइट आदि।
लोहे के दो मुख्य अयस्क के नाम एक आण्विक सूत्र
निम्नलिखित है-
(i) हेमाटाइट Fe2O3 एवं
(ii) आयरन पाइराइट FeS2
34. विद्यत अपघटनी शोधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर⇒ कॉपर, जिंक, टिन, निकेल, चाँदी, सोना आदि जैसे अनेक धातुओं का शोधन विद्युत्
अपघटन द्वारा किया जाता है । इस प्रक्रिया में अशुद्ध धातु को ऐनोड तथा शुद्ध धातु
की पतली परत को कैथोड बनाया जाता है । धातु के लवण विलयन का उपयोग विद्युत्-अपघट्य
के रूप में होता है। विद्युत-अपघट्य में जब धारा प्रवाहित होती है तब एनोड पर
स्थित शुद्ध धातु विद्युत्-अपघट्य में घुल जाता है । इतनी ही मात्रा में शद्ध धात
विद्यत-अपघटय से कैथोड पर निक्षेपित हो जाता है। विलयशील अशुद्धियाँ विलयन में चली
जाती हैं तथा अविलयशील अशुद्धियाँ ऐनोड के नीचे निक्षेपित हो जाती हैं जिसे ऐनोड
अवपंक कहते हैं।
35. Alloys स्टील क्या है ? किन्हीं तीन Alloy स्टील के नाम और उनकी संरचना लिखें।
उत्तर⇒ लोहे के साथ अन्य धातुओं और अधातुओं को मिलाकर
प्राप्त की जाने वाली मिश्रधात स्टील कहलाती है।
इसके तीन प्रकार हैं-
(i) कार्बन स्टील- लोहे और कार्बन का मिश्र धातु
कार्बन स्टील कहलाता है जिसमें कार्बन की मात्रा 0.5% से 1.5% तक होती है। कार्बन के अतिरिक्त सिलिकॉन,
गन्धक, फॉस्फोरस तथा मैंगनीज भी होती है। कार्बन स्टील
पेच, कील,
गाड़ी की
पटरियाँ, गार्डर
तथा मशीनें बनाने में काम आता है । समुद्री जहाज, इमारतें तथा वाहन भी इसी से बनते हैं।
(ii) स्टेनलेस स्टील- जिसमें क्रोमियम, निकल, ताँबा, टंगस्टन या वेनडेनियम को मिलाया जाता है उसे
स्टेनलेस स्टील कहते हैं। इसमें क्रोमियम 18% तथा निकल 8% होता है । यह डेयरी उद्योग अस्पतालों तथा
बर्तन तैयार करने में काम आता है।
36. धातुकर्म क्या है ? इसके विभिन्न चरणों को लिखें।
उत्तर⇒ धातुकर्म वह विधि है जिसके द्वारा अयस्क से
शुद्ध धातु का निष्कर्षण होता है।
अयस्क से शुद्ध धातु का निष्कर्षण कई चरणों में
होता है –
(a) अयस्कों का समद्धीकरण- अयस्कों से गैंग को
हटाने की प्रक्रिया को समृद्धीकरण कहते हैं।
(b) धातुओं का निष्कर्षण- इसके लिए निस्तापन,
भर्जन, अपघटन आदि विधि का प्रयोग होता है।
(c) धातुओं का परिष्करण- अशुद्ध धातुओं को विभिन्न
विधियों, जैसे
विद्युत अपघटनी परिष्करण द्वारा शुद्ध किया जाता है।
37. एक मिश्रधातु क्या है ? मैग्नेलियम नामक मिश्रधातु के अवयवों
के नाम लिखिए। इसके कोई दो उपयोग दीजिए।
उत्तर⇒ यह दो या दो से अधिक धातुओं अथवा तथा अधातु का
संभागी मिश्रण है। उदाहरण—पीतल, तांबा तथा जिंक की मिश्रधातु है, कांसा, ताँबा तथा टिन की मिश्रधातु है।
मैग्नेलियम का संघटन-
ऐलुमिनियम (AI)-95%
मैग्नीशियम (Mg)-5%
मैग्नेलियम के उपयोग-
(i) हल्की तथा कठोर होने के कारण यह हवाई जहाज के
भाग बनाने में प्रयोग की जाती है।
(ii) यह वाहनों तथा तुलाओं के भाग बनाने में काम आती
है।
38. ऐलुमिनियम के उपयोग बताएँ।
उत्तर⇒ ऐलुमिनियम के उपयोग-
(i) ऐलुमिनियम हल्की धातु होने के कारण, हवाई जहाजों की बॉडी और मोटर इंजन बनाने के काम
आती है।
(ii) यह बर्तन, फोटोफ्रेम तथा घरेलू उपयोग की ओर अनेक वस्तुएँ
बनाने में काम आती है।
(iii) यह बिजली का सुचालक है, इसलिए आजकल बिजली के स्थानांतरण के लिए इनका
प्रयोग किया जाता है।
(iv) ऐलमिनियम की बारीक परतों को खाने का सामान,
दवाइयाँ दूध की
बोतलें आदि पैक करने में प्रयुक्त की जाती हैं।
(v) ऐलुमिनियम पाउडर सिल्वर पेंट बनाने के काम आता
है।
(vi) ऐलुमिनियम पाउडर एलूमिनोथिरैपी में प्रयुक्त
होता है। यह प्रक्रम लोहे की पटरियों तथा मशीनों के टूटे भागों को जोड़ने के काम
आता है।
39. अयस्क और खनिज में अंतर लिखिए।
उत्तर⇒ खनिज-धातुओं के प्राकृत यौगिक रूप को खनिज कहते
हैं । अधिकांश धातुएँ हमें यौगिकों के रूप में ही प्राप्त होती हैं, जैसे-ताँबा हमें पाइराइट या क्यूपराइट से
प्राप्त होता है। अयस्क-जिन पदार्थों (खनिजों) से धातु का निष्कर्षण सरल हो उन्हें
अयस्क कहते हैं, जैसे-
ऐलुमिनियम का अयस्क बॉक्साइट है तो लोहे का हैमेटाइट।
4. 4. कार्बन तथा उसके यौगिक ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
Carbon
Tatha Uske Yogik Subjective Question Class 10th Science For Matric Exam 2022
1. कार्बनिक यौगिकों के कुछ गुणों को लिखें।
उत्तर⇒कार्बनिक यौगिकों के निम्नांकित गुण हैं-
(i) अधिकांश कार्बनिक यौगिक अच्छे विद्युत के चालक
नहीं होते हैं।
(ii) इनके गलनांक एवं क्वथनांक निम्न होते हैं।
(iii) इनके परमाणुओं के बीच प्रबल आकर्षण बल नहीं
होते हैं।
(iv) इन यौगिकों के आबंध से आयन की उत्पत्ति नहीं
होती है।
(v) ये जल में घुलनशील नहीं होते हैं लेकिन पेट्रोल,
डीजल, कार्बन डाइसल्फाइड जैसे-कार्बनिक पदार्थों में
घुलनशील होते हैं।
2. कार्बनिक यौगिकों की संख्या इतनी अधिक क्यों है ?
उत्तर⇒क्योंकि कार्बन परमाणु अन्य परमाणुओं के साथ
इलेक्ट्रॉनों को साझा कर यौगिक बनाते हैं। यही कारण है कि कार्बनिक यौगिकों की
संख्या इतनी अधिक है।
3. कार्बन के चार यौगिकों के नाम लिखें।
उत्तर⇒ एसिटीक एसिड
– CH3COOH
क्लोरोफॉर्म – CH2Cl3
एथेनॉल – CH3CH2OH
मिथेन – CH4
4. कार्बन यौगिकों के तीन रासायनिक गुणधर्मों का उपयुक्त रासायनिक
अभिक्रिया के साथ उल्लेख करें।
उत्तर⇒ (i) कार्बन यौगिक ऑक्सीकरण अभिक्रिया के फलस्वरूप
ऊष्मा एवं प्रकाश उत्पन्न करते हैं।
CH4 + 02 →
CO2+ H2O + ऊष्मा + प्रकाश
CH3CH2OH + 02 → CO2
+ H2O + ऊष्मा
+ प्रकाश
(ii)
एथनॉइक अम्ल
क्षार (NaOH) के
साथ अभिक्रिया कर सोडियम एसीटेट का निर्माण करता है।
NaOH + CH3COOH →
CH3COONa + H2O
(iii)
कार्बन यौगिक
एथनॉल सोडियम के साथ अभिक्रिया कर सोडियम एथॉक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त करता
है।
2Na + 2CH3CH2OH →
2CH3CH2O-Na+ + H2
5. कार्बन के दो गण-धर्म कौन-से हैं जिनके कारण हमारे चारों ओर कार्बन
यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है ?
उत्तर⇒कार्बन की चतु: संयोजकता तथा शृंखलन दो ऐसे
विशिष्ट गण हैं जिनके चलते कार्बन यौगिकों की संख्या अधिक है।
6. कार्बन के कितने अपरूप हैं। इनमें से कौन अधिक कठोर और कौन मुलायम है ?
उत्तर⇒कार्बन के मुख्यतः दो अपरूप हैं हीरा और
ग्रेफाइट। हीरा काफी कठोर और ग्रेफाइट मुलायम होता है। हीरे का उपयोग गहना बनाने
में और ग्रेफाइट का उपयोग लुब्रीकेंट के रूप में होता है।
7. कार्बनिक यौगिकों के क्वथनांक और गलनांक कम होते हैं, इससे इनकी प्रकृति के बारे में क्या कहा जा सकता है ?
उत्तर⇒कार्बनिक यौगिकों के क्वथनांक और गलनांक निम्न
होने का कारण है कि इन यौगिकों के अणुओं के बीच प्रबल बंधन नहीं होते हैं। अतः
बंधन बनाने के लिए आयनों का निर्माण नहीं करता है।
8. क्या आप डिटर्जेंट का उपयोग कर बता सकते हैं कि कोई जल कठोर है या नहीं
?
उत्तर⇒अपमार्जक (डिटर्जेंट) लंबी कार्बोक्सिलिक अम्ल
श्रृंखला के अमोनियम एवं सल्फोनेट लवण होते हैं। इन यौगिकों का आवेशित सिरा कठोर
जल में उपस्थित कैल्सियम एवं मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील पदार्थ नहीं बनाते
हैं। कठोर जल में भी अपमार्जक प्रभावी बने रहते हैं। ऐसी अवस्था में डिटर्जेंट का
उपयोग कर कार्ड जल कठार है, इसके बारे में कहना कठिन है।
9. समजातीय श्रेणी किसे कहते हैं ?
उत्तर⇒कार्बन के यौगिकों का एक ऐसा समूह होता है
जिसकी संरचनाएँ तथा रासायनिक गण समरूप होती हैं तथा दो क्रमागत सदस्यों के बीच CH.का अन्तर हाता हे समजातीय श्रेणी कहते हैं।
उदाहरण – एल्कन्स का समजातीय श्रेणी CH4
.C2H6 . C3H8 आदि है जिसके क्रमागत सदस्यों के बीच सदा -CH2 का अन्तर है।
10. समावयवता किसे कहते हैं ? एक उदाहरण दें।
उत्तर⇒समान आण्विक सूत्र लेकिन विभिन्न संरचनाओं वाले
ऐसे यौगिक संरचनात्मक समावयन कहलाते हैं। ये दो यौगिक ब्यूटेन के समावयवी कहे जाते
हैं। ब्यूटन के दो समावयवी नॉर्मल ब्यूटेन और आइसो ब्यूटेन हैं। इस गुण को
समावयवता कहते हैं।
ब्यूटेन का सूत्र C4H10 है।
11. एथनॉल के कुछ उपयोगों को लिखें।
उत्तर⇒ (i) इसका उपयोग टिंचर आयोडिन, कफ सीरप, टॉनिक आदि औषधियों के बनाने में होता है।
(ii) इसका उपयोग पीने में होता है।
(iii) शुद्ध एल्कोहल का उपयोग घातक है।
12. सह-संयोजी आबंध किसे कहते हैं ?
उत्तर⇒दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रोन की एक युग्म की
साझेदारी के द्वारा बनाने वाले आबंध सहसंयोजी आबंध कहलाते हैं। सह-संयोजी आबंध
वाले अणुओं में भीतर तो प्रबल आबंध होता है लेकिन इनका अंतराणुक बल कम होता है। इन
यौगिकों के क्वथनांक और गलनांक कम होते हैं। चूँकि परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रोनों
की साझेदारी होती है और आवेशित कण बनते हैं। ऐसे यौगिक विद्युत के कुचालक होते
हैं।
13. डिटरजेंट कठोर जल में झाग क्यों देता है ?
उत्तर⇒का निर्माण कर साबुन के समान क्रिया करता है
तथा झाग उत्पन्न करता है।
14. हाइड्रोजनीकरण क्या है? इसका औद्योगिक अनुप्रयोग क्या है ?
उत्तर⇒ वनस्पति तेलों में साधारणतः लंबी असंतृप्त
कार्बन शृंखलाएँ होती हैं। निकेल उत्प्रेरक का उपयोग करके वनस्पति तेलों को
हाइड्रोजनीकरण किया जाता है।
एल्किल समूह, असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को H से योग कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन प्राप्त करना
हाइड्रोजनीकरण कहलाता है।
15. समावयवी क्या है ?
उत्तर⇒ कुछ ऐसे कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनके
अणुसूत्र तो समान होते हैं लेकिन उनके संरचना सूत्र भिन्न-भिन्न होते हैं। ये
यौगिक एक दूसरे के समावयवी कहे जाते हैं। यह गुण समावयवता कहलाती है। जैसे एथिल
एल्कोहल और डायमिथायल ईथर। इनके अणु सूत्र C2H60 है।
16. हीरा और ग्रेफाइट के गुणों में अन्तर होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर⇒ हीरा में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य
परमाणुओं से जुड़ा होता है। इस प्रकार एक दृढ़ त्रिआयामी संरचना बनती है। अतः हीरा
अत्यन्त कठोर होता है।ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं से
जुड़ा होता है। अतः यह हेक्सागोनल प्लेटों के रूप में रवा बनाता है। प्लेटों के
बीच इलेक्ट्रॉन भरे रहने के कारण यह सुचालक भी है।
17. सिरका क्या है ? इसके उपयोगों को लिखें।
उत्तर⇒सिरका ऐथेनॉइक अम्ल का तनु घोल है। इसमें अन्य
पदार्थ जैसे एस्टर, शर्करा,
जेक्सट्रीन आदि
तथा अन्य अम्ल घुले होते हैं। सिरके का उपयोग-सुगंध पैदा करने वाले पदार्थ और अचार
आदि में परिरक्षक के रूप में भी किया जाता है।
18. एथनॉइक अम्ल के भौतिक गुण धर्मों को लिखें।
उत्तर⇒एथनॉइक अम्ल को साधारणतः एसिटीक अम्ल कहा जाता
है। यह अम्ल कार्बोक्सिलिक अम्ल समूह से संबंधित है। एसिटीक अम्ल के 3-4% विलियन को सिरका कहा जाता है। यह अचार में
परिरक्षक का काम करता है। शुद्ध एथनॉइक अम्ल का गलनांक 290 K होता है। शीत के मौसम में यह जम जाता है। इसलिए
इसे ग्लैशियल एसिटीक अम्ल कहा जाता है। खनिज अम्लों की तुलना में इसकी अम्लीयता
दुर्बल है। यह आयनीकृत नहीं होता है। यह जल में आसानी से घुल जाता है।
19.ईंधन के रूप में एल्कोहल का इस्तेमाल कैसे किया जाता है ?
उत्तर⇒गन्ना सूर्य के प्रकाश में रासायनिक ऊर्जा में
बदलने में सर्वाधिक सक्षम होता है। गन्ने का रस (सिरका) बनाने के उपयोग में लाया
जाता है जिसका किण्वन करके एल्कोहल तैयार किया जाता है। कुछ देशों में एल्कोहल में
पेट्रोल मिलाकर स्वच्छ ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। यह ईंधन पर्याप्त
ऑक्सीजन होने पर केवल कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल उत्पन्न करता है।
20. एथनॉल (C2H5OH) के भौतिक गुणधर्मों को लिखें।
उत्तर⇒एथनॉल के भौतिक गुणधर्म
(i) रंगहीन द्रव है।
(ii) इसका गंध सुनहला है।
(iii) यह उर्ध्वपतित द्रव है तथा इसका क्वथनांक 78°C
(351 K) है।
(iv) यह जल से हल्का होता है।
(v) यह जल में घुलनशील है।
(vi) यह लिटमस के प्रति उदासीन है।
21. सजीव प्राणियों पर एल्कोहल का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर⇒अधिक मात्रा में एथनॉल का सेवन करने पर उपापचयी
प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाता है। इसके
कारण समन्वय की कमी हो जाती है, मानसिक दुविधा, अनिद्रा, भावशून्यता आ जाती है । मेथनॉल की थोड़ी-सी
मात्रा लेने पर मृत्यु हो सकती है। मेथनॉल यकृत में ऑक्सीकृत होकर मेथेनैल बन जाता
है। मेथेनैल यकृत की कोशिकाओं के घटकों के साथ शीघ्र अभिक्रिया करने लगता है। इससे
प्रोटोप्लाज्म नष्ट होने लगता है। यह चक्षु तंत्रिका को भी प्रभावित करता है और
व्यक्ति अंधा हो जाता है।
22. कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर मैली के निर्माण को समझाएँ।
उत्तर⇒ कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवणों की उपस्थिति के
कारण जल कठोर हो जाता है। जब कठोर जल को साबुन से उपचारित किया जाता है तब साबुन
कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवणों के साथ अभिक्रिया कर अविलय पदार्थ बनाते हैं। यह
अविलेय पदार्थ मैली का निर्माण करते हैं।
23. जीवाश्म ईंधन से आप क्या समझते हैं ? इसका निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर⇒करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी की सतह में गहरे दबे
हुए पौधों तथा पशुओं के अवशेषों से प्राप्त ईंधन को जीवाश्म ईंधन कहते हैं। कोयला
और पेट्रोलियम जीवाश्म ईंधन हैं।
24. कार्बन तत्त्व एक अद्वितीय तत्त्व है। कैसे ?
उत्तर⇒ सभी ज्ञात परमाणुओं में से केवल कार्बन
परमाणुओं में ही यह क्षमता कि वे आपस में मिलकर लंबी श्रृंखला बनाते हैं ।
प्रत्येक ऐसी लंबी श्रृंखला कार्बन परमाणु को इस प्रकार का सरल आधार प्रदान करती
है जिसमें अन्य परमाण विभिन्न विधियों द्वारा जड सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप
कार्बन तत्त्व टाग किस्मों के यौगिक बनाए जा सकते हैं।
25. समजातीय श्रेणी क्या है ? उदाहरण के साथ समझाइए।
उत्तर⇒यौगिकों की ऐसी श्रृंखला जिसमें कार्बन
श्रृंखला में स्थित हाइड्रोजन को एक ही प्रकार का प्रकार्यक समूह प्रतिस्थापित
करता है उसे समजातीय श्रेणी कहते हैं। इसके दो क्रमागत सदस्यों में CH2 ग्रुप का अंतर होता है,
जैसे-एल्केन, सजातीय श्रेणी का सामान्य सूत्र CnH2n+2
है । इस श्रेणी
के सदस्य मिथेन CH4 , इथेन C2H6, प्रोपेन C3H8 , ब्यूटेन C4H10 , पेंटेन C5 H12 , हैक्सेन C6H14 आदि हैं।
26. एस्टीरीफिकेशन (esterification) अभिक्रिया क्या है ? समीकरण द्वारा बतायें।
उत्तर⇒अम्ल तथा ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया से ऐस्टर तथा
जल बनते हैं। इस अभिक्रिया को ऐस्टरीकरण कहते है। उदाहरणार्थ ऐसीटिक अम्ल तथा ऐथिल
ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया से ऐस्टर ऐसीटेट का बनना ऐस्टरीकरण है।
27. सजातीय श्रेणी के लक्षण लिखें।
उत्तर⇒सजातीय श्रेणी के मख्य लक्षण निम्न हैं-
(i) किसी भी सजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक
सामान्य सत्र के द्वारा प्रकट किया जा सकता है, जैसे एल्केन सजातीय श्रेणी के सभी सदस्योंएक ही
सामान्य सूत्र CH, द्वारा
प्रकट किया जाता है।
(ii) किसी भी सजातीय श्रेणी के दो साथ-साथ वाले
सदस्यों में (_CH.) ग्रुप
का अंतर होता है।
(iii) किसी भी सजातीय श्रेणी के सभी सदस्य एक जैसे
रासायनिक गुण प्रकट करते हैं।
(iv) किसी भी सजातीय श्रेणी के सदस्यों के भौतिक
गुणों में अणु भार बढ़ने के साथ-साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।
(v) किसी भी सजातीय श्रेणी के सदस्यों को एक-सी
विधियों द्वारा तैयार किया जा सकता है।
28. हाइड्रोकार्बन क्या है ? उदाहरण के साथ समझाइए।अथवा, विभिन्न प्रकार के हाइड्रोकार्बन के नाम उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर⇒ हाइड्रोजन और कार्बन से बने यौगिक को
हाइड्रोकार्बन कहते हैं। हाइड्रोकार्बन दो प्रकार के होते हैं –
(i)
संतप्त
हाइडोकार्बन – सहसंयोजक
एकल बंधनों से जुड़े कार्बन एवं हाइड्रोजन के यौगिक संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते
हैं। इन्हें ऐल्केन भी कहा जाता है इनका सामान्य रासायनिक सूत्र (CnH2n+2) जैसे-मिथेन।
(ii)
असंतप्त
हाइड्रोकार्बन – खूली
शृंखलावाले वे हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन परमाणुओं के बीच द्विबंधन अथवा
त्रिबंधन उपस्थित रहते हैं, असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। कार्बन
परमाणुओं के बीच द्विबंधन रहने पर हाइड्रोकार्बन को ऐल्कीन (alkene) कहते हैं। ऐल्कीन का सामान्य सूत्र CnH2n
है। कार्बन
परमाणुओं के बीच त्रिबंधन रहने पर हाइड्रोकार्बन को ऐल्काइन (alkyne) कहते हैं। ऐल्काइन. का सामान्य सूत्र (CnH2n-2 है।
29. मिथाइल ऐल्कोहल किस प्रकार तैयार किया जाता है ?
उत्तर⇒ मिथाइल ऐल्कोहल को वुड ऐल्कोहल या वुड स्प्रिट
भी कहते हैं । इसे लकड़ी के भंजन से प्राप्त किया गया था। इसे तैयार करने के लिए
लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़ों को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है। मिथाइल
ऐल्कोहल एक उत्पाद के रूप में प्राप्त हो जाता है। आजकल इसे जल गैस तथा हाइड्रोजन
के मिश्रण को 300°C तक
गर्म करने से प्राप्त किया जाता है।jal gas
30. एस्टर किसे कहते हैं ? इन्हें किस प्रकार बनाया जाता है ? इनके दो उपयोग लिखिए।
उत्तर⇒जिन कार्बनिक यौगिकों का अभिलक्षकीय ग्रुप -C00-
होता है,
एस्टर कहलाते
हैं। इनके निर्माण के लिए कार्बनिक अम्लों की सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में
एल्कोहल से क्रिया कराई जाती है।
(एसिटिक अम्ल) (एथेनॉल)
उपयोग – इनकी गंध फलों के समान होती है इसलिए इनका
उपयोग ठंडे पेयों, आइसक्रीम,
मिठाइयों तथा
परफ्यूमों में होता है। ये फलों में भी पाए जाते हैं।
31. साबुनीकरण किसे कहते हैं ? प्रयोगशाला में साबुन किस प्रकार
बनाते हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर⇒जब वसा या तेल को NaOH के साथ गर्म किया जाता है तो वसा या तेल के अणु
विघटित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को साबनीकरण कहते हैं जिसके फलस्वरूप साबुन बनता
है।
प्रयोगशाला में साबुन की तैयारी —प्रयोगशाला में साबुन तैयार करने के लिए
निम्नलिखित सामग्री चाहिए –
(i)
वनस्पति तेल
(जैसे, कैस्टर
तेल, कॉटन
सीड्ड तेल)
(ii)
सोडियम
हाइड्रोक्साइड (कास्टिक सोडा)
(iii)
सोडियम क्लोराइड
(साधारण नम)
विधि – एक बीकर में 20 mL.कैस्टर ल लीजिए और उस 20%, 40 mLसोडियम हाइड्रोक्साइड का घोल डालिए। इस मिश्रण
को धीरे-धीरे उबलने तक गर्म किया जाता है और इसेपाँच से दस मिनट तक उबालाजाता है।
अब बीकर में 5
ग्राम खाने वाला नमक डालिए औरश्रृंखला पदार्थ को ठंडा होने दीजिए।ठंडा करने पर
बीकर में साबुनजल बनता है जिसे तब हटा लिया जाता है ।साबुन का मिशेल
32. अपमार्जक किसे कहते हैं ? संश्लिष्ट अपमार्जक की संरचना बताइए।
इसका प्रमुख लाभ लिखिए।
उत्तर⇒सफाई के लिए प्रयुक्त होने वाले पदार्थों को
अपमार्जक कहते हैं। बहुत पहले से अपमार्जक के रूप में साबुन का प्रयोग होता रहा है
परंतु आजकल संश्लिष्ट अपमार्जक अधिक लोकप्रिय हो गए हैं। संश्लिष्ट अपमार्जक में
दो सिरों वाले अणु होते हैं जिनका एक सिरा जल को आकर्षित करता है जो प्रायः सल्फेट
(-SO 4) या
सल्फोनेट (-SO3Na) ग्रुप
द्वारा बना होता है ।दूसरा सिरा जल को प्रतिकर्षित करता है जो हाइड्रोकार्बन युक्त
होता है।
संश्लिष्ट अपमार्जक कठोर जल में भी पर्याप्त
मात्रा में झाग बनाते हैं। ये कठोर जल के साथ अघुलनशील कैल्सियम या मैग्नेशियम के
लवण नहीं बनाते हैं।
33. क्या कारण है कि ग्रेफाइट विद्युत् का सुचालक है ?
उत्तर⇒ ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु केवल तीन
कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़ा रहता है तथा जिस कारण इसमें
षट्कोणीय जाल की परतें बनाते हैं। इसमें कार्बन परमाणुओं के बीच की दूरी अधिक होती
है। परतों के मध्य इस दूरी के कारण विपरीत परतों में स्थित कार्बन परमाणुओं के बीच
सहसंयोजक बंधों के बनने की संभावना समाप्त हो जाती है और चौथा संयोजक इलेक्ट्रॉन
स्वतंत्र छूट जाता है। इसीलिए ग्रेफाइट में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह आसानी से हो
जाता है और ग्रेफाइट विद्युत् का सुचालक हो जाता है।
34. रासायनिक संरचना के आधार पर साबुन एवं अपमार्जक में विभेद कीजिए।
उत्तर⇒
5. 5. तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
Tatvon
Ka Vargikaran Question Answer Class 10th Science Tatvon Ka Vargikaran Question
Answer Bihar Board
1. न्यूलैंड के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर⇒ न्यूलैंड के अष्टक सिद्धांत की सीमाएँ हैं.
(i) अष्टक का सिद्धांत केवल कैल्सियम तक ही लागू
होता था, क्योंकि
कैल्सियम के बाद प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुणधर्म पहले तत्त्व से नहीं मिलता।
(ii) बाद में कई नये तत्त्व पाए गये जिनके गुणधर्म
अष्टक सिद्धांत से मेल नहीं खाते थे।
(ii) अपनी सारणी में इन तत्त्वों को समंजित करने के
लिए न्यूलैंड ने दो तत्त्वों को एक साथ रख दिया और कुछ असमान तत्त्वों को एक स्थान
में रख दिया।
उदाहरण- कोबाल्ट तथा निकेल एक साथ हैं तथा
इन्हें एक साथ उसी स्तम्भ में रखा गया है जिसमें फ्लुओरीन, क्लोरीन एवं ब्रोमीन हैं यद्यपि इनके गुणधर्म
उन दोनों तत्त्वों से भिन्न हैं। आयरन को कोबाल्ट एवं निकेल से दूर रखा गया है
जबकि उनके गुणधर्मों में समानता होती है।
2. तत्त्वों के आवर्त वर्गीकरण के लिए परमाणु द्रव्यमान संख्या की अपेक्षा
परमाणु संख्या को उत्तम आधार क्यों माना गया है ?
उत्तर⇒ तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान नाभिक के कारण है।
नाभिक तत्त्व के केन्द्र में स्थित है। इसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन हैं, जिनका पुंज होता है। तत्त्व का नाभिक गुणों की
व्याख्या नहीं करता। वास्तव में तत्त्वों के गुण इलेक्ट्रॉनिक वितरण से संबंधित
हैं। ज्यों-ज्यों परमाणु संख्या बदलती है वैसे-वैसे इलेक्ट्रॉनिक वितरण भी बदलता जाता
है। इसलिए परमाणु तत्त्वों के वर्गीकरण का उत्तम आधार है।
3. नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फॉस्फोरस (परमाणु संख्या 15) आवर्त सारणी के समूह 15 के तत्त्व है। इन दोनों तत्त्वों का
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
लिखिए। इनमें से कौन-सा तत्त्व अधिक ऋण विद्युत होगा और क्यों ?
उत्तर⇒ N (Z = 7) 2,5
P (Z = 15) 2,8,5
N अधिक वैद्युत ऋणात्मक होगा, क्योंकि इसका परमाण्वीय आकार अपेक्षाकृत कम
होता है। किसी वर्ग में जब शीर्ष से तल (आधार) की ओर बढ़ते हैं, प्रत्येक स्तर पर परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों का
एक कोश बढ़ता जाता है। इस प्रकार परमाणुओं में इलेक्ट्रॉन कोशों की संख्या
धीरे-धीरे बढ़ती जाती है जिसके कारण परमाणुओं का आकार भी बढ़ता है। परमाणु के आकार
में इस वृद्धि के कारण, उसका
नाभिक परमाणु में और अन्दर चला जाता है। आने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए नाभिक K
का आकर्षण कम हो
जाता है, जिसके
कारण परमाणु आसानी से ऋणायान नहीं बना सकता है और ऋण विद्युत लक्षण कम होता जाता
है।
4. तत्वों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है ? आवर्त सारणी में वर्ग तथा आवर्त क्या हैं ?
उत्तर⇒ तत्वों के गुण उनके परमाणु क्रमाकों के आवर्त
फलन होते हैं। जब तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु संख्या के आधार पर रखा जाए तो समान
गुणों वाले तत्व नियमित अंतर के बाद प्रकट होते हैं । इलेक्ट्रॉन विन्यास इसका मूल
आधार है।
वर्ग : आवर्त सारणी में उर्ध्वाधर (खड़े) कालम
समूह वर्ग कहलाते हैं।
आवर्त : आवर्त सारणी में क्षैतिज कॉलम आवर्त
कहलाते हैं।
5. धनायन का आकार परमाणु से कम क्यों होता है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर⇒ धनायन को धन आयन भी कहते हैं। यह परमाणु द्वारा
एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन खो देने पर बनता है । इलेक्ट्रॉन खोने पर प्रायः
शैलों की संख्या कम हो जाती है। इसलिए धनायन का आकार परमाणु के आकार से कम होता
है।
6. न्यूलैंड्स के अष्टक नियम को लिखें।
उत्तर⇒ 1866 ई० में अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन न्यलैंडस ने सात
तत्त्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया। उन्होंने सबसे कम
परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्व वाल तत्त्व हाइड्रोजन से आरंभ किया तथा 56वें तत्त्व थोरियम पर इसे समाप्त किया।
उन्होंने पाया कि प्रत्येक आठवें तत्त्व का गणधर्म पहले तत्त्व के गुणधर्म के समान
है। उन्होंने इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की और इसलिए इन्होंने अष्टक का
सिद्धांत कहा। इसे “न्यूलैंड्स
का अष्टक सिद्धांत” कहा
जाता है।
7. तत्त्वों के वर्गीकरण में डॉबेराइनर के क्या आधार थे ?
उत्तर⇒ डॉबेराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्त्वों को
समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने तीन-तीन तत्त्व वाले कुछ
समूहों को चुना एवं उन समूहों को त्रिक कहा। डॉबेराइनर ने बताया कि त्रिक के तीनों
तत्त्वों का उनके परमाणु द्रव्यमान, के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्त्व का
परमाणु द्रवयमान अन्य दो तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता है।
8. आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की
प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी ?
उत्तर⇒ आवर्त में बायीं से दायीं ओर बढ़ने पर बाहरी
कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमानुसार बढ़ती जाती है। अतः अष्टक की प्राप्ति
में एकांतर रूप से कम इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होगी। अतः इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने
की प्रवृत्ति बढ़ती है।
9. तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्व की
स्थिति से क्या संबंध है ?
उत्तर⇒ आधुनिक आवर्त सारणी तत्त्वों के परमाणु संख्या
के आरोही क्रम में सजाया गया है। अगर एक तत्त्व Mg (परमाणु संख्या 12) है तो आवर्त सारणी में ऐलुमिनियम परमाणु संख्या
13 को
एक ही आवर्त में रखा गया है। जबकि Mg समूह 2 में और ऐलुमिनियम समूह 13 में। Mg का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2,8,2) है और Al का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2,8,3) है। आवर्त में लगातार बायीं से दायीं ओर जाने
पर संयोजकता इलेक्ट्रॉन में क्रमानुसार 1 इलेक्ट्रॉन की वृद्धि होती है। इसी प्रकार एक
समूह (2) में
Mg (12) और
कैल्सियम परमाणु संख्या (20) लिया जाए तो इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2,8,2)
और (2,8,8,2)
प्राप्त होता
है। इन्हें एक समूह में रखा गया है, लेकिन Mg में तीन कोश और Cu में चार कोश प्राप्त है। दोनों तत्त्वों की संयोजकता
समान (2) है।
लेकिन Mg का
परमाणु साइज Ca के
परमाणु साइज से छोटा है। अतः इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर उनके परमाणु संख्या
को ध्यान में रखकर तत्त्वों को आवर्त सारणी में स्थान दिया गया है। अतः तत्त्वों
के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी तत्त्वों की स्थिति से संबद्ध है।
किसी भी तत्त्व को आवर्त सारणी में देखकर उसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी
प्राप्त की जा सकती है।
10. मेंडलीव के आवर्त सारणी की विसंगतियों को लिखें।
उत्तर⇒ मेंडलीव के आवर्त सारणी की विसंगतियाँ निम्न
हैं –
(i) निश्चित रूप से आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का
नियत स्थान नहीं दिया जा सका है। यह मेंडलीव के आवर्त सारणी की पहली कमी थी।
उन्होंने अपनी सारणी में हाइड्रोजन को उचित स्थान नहीं दे सके।
(ii) मेंडलीव आवर्त सारणी में समस्थानिकों और नोबल
गैसों के लिए कोई स्थान नहीं दिया गया।
(iii) मेंडलीव आवर्त सारणी में एक तत्त्व से दूसरी
तत्त्व की ओर बढ़ने पर परमाणु द्रव्यमान नियमित रूप से नहीं बढ़ते। इसलिए यह
अनुमान लगाना होगा कि दो तत्त्वों के बीच कितने तत्त्व खोजे जा सकते हैं। जब भारी
तत्त्वों पर विचार करते हैं तो कठिनाई उत्पन्न हो जाती है।
11. मेंडलीफ ने तत्त्वों का वर्गीकरण किस आधार पर किया ?
उत्तर⇒ मेंडलीफ ने अपनी सारणी में तत्त्वों को उनके
मूल गुणधर्म, परमाणु
द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणधर्मों में समानता के आधार पर व्यवस्थित किया।
12.
डॉबेराइनर के
तत्त्वों के वर्गीकरण की क्या सीमाएँ थीं ?
उत्तर⇒
(i) उस समय तक ज्ञात सभी तत्त्वों का वर्गीकरण
त्रिक के आधार पर नहीं हो सका।
(ii) यह त्रिक नियम कुछ ही तत्त्वों तक सीमित रहा।
(iii) उस समय तक ज्ञात तत्त्वों में केवल तीन त्रिक
ही ज्ञात हो सके।
13. आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या क्यों घटती है ?
उत्तर⇒ नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को
नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का आकार घटता है और इसकी परमाणु त्रिज्या घट
जाती है।
14. उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया है ?
उत्तर⇒ उत्कृष्ट गैसें He, Ar, Ne आदि के परमाणु क्रमांक क्रमश: 2, 18, 10 हैं। इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (2),
(2, 8, 8), (2,8) है।
इनकी संयोजकताएँ शून्य हैं अतः इन्हें अलग समूहों में रखा गया क्योंकि इनके
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास भिन्न-भिन्न हैं।
15. आपके अनुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूहों में क्यों रखा गया ?
उत्तर⇒ चूँकि ये गैसें मेंडलीफ आवर्त सारणी के बनने के
काफी बाद पाया गया, जिसे
सारणी में खाली जगहों में रखा गया। सभी गैसें अभिक्रियाशील थे, अतः उन्हें एक अलग समूह में रखना उचित था।
16. समूह में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति किस तरह बदलती है ?
उत्तर⇒ समूह में नीचे की ओर संयोजकता इलेक्ट्रॉन पर
क्रिया करने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता है, क्योंकि सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर
होते हैं। इसलिए यह इलेक्ट्रॉन सुगमतापूर्वक निकल जाते हैं।
17. समह में ऊपर से नीचे जाने पर संयोजकता किस प्रकार परिवर्तित होती है ?
उत्तर⇒ समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्त्वों की
संयोजकताएँ स्थिर रहती हैं। समूह 1 के तत्त्वों की संयोजकताएँ 1 और समूह 2 के तत्त्वों की संयोजकताएँ 2 होती हैं। इसी प्रकार समूह 3 और 4 के परमाणुओं की संयोजकताएँ 3 और 4 होंगी।
18. समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की
प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी ?
उत्तर⇒ समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर अधातुओं
में कोशों की संख्या बढ़ती है लेकिन संयोजकता इलेक्ट्रॉन समान रहती है। अत:
इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति घटती है जबकि कोशों की संख्या बढ़ती है।
अधातुओं में ऋणात्मकता की प्रवृत्ति रहती है जिससे यह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की
प्रवत्ति रखता है। लेकिन समह में ऊपर से नीचे आने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की
प्रवृत्ति घटती है क्योंकि आयनाकरण उर्जा की कमी होती है।
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