प्रश्न 1.
बर्लिन की दीवार क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:- शीतयुद्ध के चरम बिंदु की प्रतीक बर्लिन की दीवार है जिसका निर्माण 1961 में हुआ था और पश्चिमी बर्लिन और बर्लिन को एक दूसरे से अलग करती थी। यह साम्यवाद के पतन की भी प्रतीक है। 9 नवम्बर, 1989 में इस दीवार को तोड़ यिा गया। यह दोनों जर्मनी के एकीकरण और साम्यवादी खेमे की समाप्ति की शुरूआत थी।
प्रश्न 2.
1917 ई. की रूसी क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर:- यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई रूस का जार इसको छोड़ने को तैयार नहीं था। रूस में लोग समाजवाद के आदर्शों और समतामूलक समाज की स्थापना करना था। यह मानव इतिहास में निजी संपत्ति की संस्था को समाप्त करने और समाज को समानता सिद्धांत पर सक्रिय रूप से रचने की सबसे बड़ी कोशिश थी। इसी क्रांति के पश्चात् समाजवादी सोवियत गणराज्य की रूस में स्थापना हुई।
प्रश्न 3.
ब्लादिमीर लेनिन कौन था?
उत्तर:- यह बोल्शेनिक कम्युनिस्ट पार्टी का संस्थापक था। इसने 1917 ई. के रूसी क्रांति का नेतृत्व किया और क्रांति को सफलता की सीढ़ी तक पहुंचाया। 1917 से 1924 तक की अवधि उसके लिए सबसे कठिन थी जब रूस की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी थी। वह सोवियत समाजवादी गणराज्य का संस्थापक अध्यक्ष थे। उसने मार्क्सवादी के महत्त्वपूर्ण सिद्धांत बनाये और उसे अमली जामा पहनाया।
प्रश्न 4.
दूसरी दुनिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् पूर्वी यूरोप के देश सोवियत संघ के प्रभाव में आ गये थे। वस्तुत: सोवियत ने इन्हें फासीवादी ताकतों से मुक्त कराया था। इन सभी देशो की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया। इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या दूसरी दुनिया कहते हैं।
इस गुट का नेता समाजवादी सोवियत गणराज्य था। इसमें इसके अलावा युगोस्लाविया चैकोस्लोवाकिया, पूर्वी जर्मनी, एस्टोनिया, लातविया आदि देश थे।
प्रश्न 5.
सोवियत प्रणाली की दो कमियां बताइए।
उत्तर:- सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का नियंत्रण स्थापित हो गया था। जिससे यह प्रणाली सत्तावादी हो गई। इसके कारण नागरिकों का जीवन कठिन होता गया। लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अभाव हो गया था। सोवियत संघ में एक दल यानि कम्युनिष्ट पार्टी का शासन था और इस दल का सभी संस्थाओं पर गहरा अंकुश था। यह दल जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था।
प्रश्न 6.
स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल क्या है?
उत्तर:- रूस, बेलारूस, और उक्रेन ने 1922 की सोवियत संघ के निर्माण से संबद्ध संधि को समाप्त करने का निर्णय किया और स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल बनाया। आर्मेनिया, अजरबेजान, माल्दोवा, रुजाकिस्तान, किरणीझस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान राष्ट्रकुल में शामिल था। संयुक्त राष्ट्रसंघ में सोवियत संघ की सीट रूस को मिली।
प्रश्न 7.
सोवियत संघ के पतन के तात्कालिक कारण क्या थे?
उत्तर:- सोवियत संघ के पतन का तात्कालिक कारण राष्ट्रवादी भावनाओं और सम्प्रभुता की इच्छा का उदय था। रूस और बाल्टिक गणराज्य (एस्टोनिया, लातविया और लियुआतिया), यूक्रेन तथा जार्जिया जैसे गणराज्य इन आंदोलन उदय में सहायक थे। राष्ट्रीयता और सम्प्रभुता के भावों ने सोवियत संघ के विघटन का रास्ता साफ कर दिया।
प्रश्न 8.
सोवियत संघ के विघटन के सकारात्मक परिणाम बताइए।
उत्तर:--सोवियत संघ भी एक महाशक्ति था। इसके विघटन से शीत युद्ध समाप्त हो गया, क्योंकि दोनों महाशक्तियों के उदय से शीत युद्ध का जन्म हुआ। इसके विघटन से हथियारों की होड़ समाप्त हो गयी और परमाणु संचय की प्रवृत्ति कम हो गई। इस प्रकार विश्व में शांति की संभावना की आशा जागृत हुई।
प्रश्न 9.
अमरीका के एकलौता महाशक्ति होने से क्या दुष्परिणाम हुए?
उत्तर:- अमरीका की शक्ति और प्रतिष्ठता के कारण पूंजीवादी अर्थव्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभुत्वशाली अर्थव्यवस्था है। विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी संस्थायें, विभिन्न देशों की ताकतवर सलाहकार बन गई हैं क्योंकि इन देशों को पूंजीवाद की ओर कदम बढ़ाने के लिए इन संस्थाओं को कर्ज दिया है। राजनीतिक रूप से उदारवादी राजनीतिक जीवन को सूत्रबद्ध करने की सर्वश्रेष्ठ धारणा के रूप में उदित हुआ है।
प्रश्न 10.
‘इतिहास के सबसे बड़ी गराज सेल’ का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के अंतर्गत अपनायी गई ‘शॉक थेरेपी’ से पूर्व सोवियत संघ गुट के देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और देश की जनता को कष्टों का सामना करना पड़ा। इससे रूस में संपूर्ण राज्य नियंत्रित औद्योगिक ढांचा तहस-नहस हो गया। लगभग 90% उद्योगों को निजी हाथों या कम्पनियों को बेचा गया।\ आर्थिक ढांचे का यह पुनर्निर्माण सरकार द्वारा निर्देशित औद्योगिक नीति के बजाय बाजार की ताकतें कर रही थी इसलिए यह कदम सभी उद्योगों को ध्वंस करने वाला सिद्ध हुआ। इसे इतिहास की सबसे बड़ी गराज-सेल’ के नाम से जाना जाता है। क्योंकि महत्त्वपूर्ण उद्योगों की कम से कम आंकी गई और उन्हें औने-पौने दामों में बेच दिया गया। नागरिकों ने अपने अधिकार-पत्रों का ब्लैकमेल किया और धन प्राप्त किया।
प्रश्न 15.
भारत-रूस संबंध से एक दूसरे को क्या लाभ हुए हैं?
उत्तर:- भारत-रूस संबंध से एक दूसरे का लाभ –
इस संबंध से भारत को कश्मीर, ऊर्जा आपूर्ति, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से संबंधित सूचनाओं के आदान प्रदान, पश्चिम एशिया में पहुँच बनाने तथा चीन के अपने संबंधों में संतुलन लाने जैसे मसलों में लाभ हुए हैं।
भारत रूस के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा खरीददार देश है। भारतीय सेना को अधिकांश सैनिक साजो सामान रूस का होता है।
भारत रूस के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि वह रूस से तेल आयात करता है।
भारत रूस से अपने ऊर्जा आयात को भी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
रूस भारत की परमाण्विक योजना के लिए भी महत्वपूर्ण है।
रूस से भारत को अंतरिक्ष उद्योग में भी सहायता मिलती है। दोनों विभिन्न वैज्ञानिक परियोजनाओं में भी साझीदार हैं।
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